Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

अभी अभी

latest

"मानव जीवन में व्यायाम की उपयोगिता" अथवा "व्यायाम का महत्व " पर सबसे अच्छा हिन्दी निबंध /अनुच्छेद

  "मानव जीवन में व्यायाम की उपयोगिता" अथवा "व्यायाम का महत्व" पर सबसे अच्छा हिन्दी निबंध/ अनुुच्छेद  प्रस्तावना:-- 21  ...




 "मानव जीवन में व्यायाम की उपयोगिता" अथवा "व्यायाम का महत्व" पर सबसे अच्छा हिन्दी निबंध/ अनुुच्छेद 

प्रस्तावना:-- 21 जून को सम्पूर्ण संसार में  "विश्व योग दिवस" मनाया जाता  है। मानव जीवन को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने की दृष्टि से  यह एक महत्वपूर्ण दिन होता है।

व्यायाम की उपयोगिता बाल्यावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक सदैव बनी रहती है। हमारे ॠषियों, मुनियों ने हमें सिखाया है कि  मानव तभी  सुखी रह सकता है । जब उसका शरीर स्वस्थ हो। स्वस्थ शरीर के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना अत्यंत आवश्यक है। व्यायाम करने से शारीरिक  सुखों के साथ-साथ मनुष्य को मानसिक संतुष्टि भी प्राप्त होती है। क्योंकि इससे उसका मन भी सदा स्फूर्त्तिमय एवं आनंदमय बना रहता है।  इसी कारण health is wealth कहा गया है।

 महर्षि चरक ने लिखा है कि धर्म, अर्थ ,काम ,मोक्ष इन चारों का मूलआधार स्वास्थ्य ही है । यह बात अपने में नितांत सत्य है ।

मानव जीवन की सफलता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने में ही निहित है परंतु सबकी आधारशिला मनुष्य का स्वास्थ्य है

उसका निरोग जीवन ही रुग्ण और अस्वस्थ मनुष्य ने धर्म चिंतन कर सकता है। न अर्थ उपापार्जन कर सकता है ,न काम प्राप्ति कर सकता है ।और न मानव जीवन के सबसे बड़े स्वार्थ मोक्ष की ही उपलब्धि पा सकता है क्योंकि इन सब का मूल आधार शरीर है।

व्यायाम से लाभ :--  व्यायाम से मन में प्रफुल्लता और स्फूर्ति आती है ।अतः मन को अवसाद और आलस्य से  हटाने के लिए व्यायाम आवश्यक है। भ्रमण करना,शुद्ध हवा का सेवन करना आदि भी एक प्रकार के व्यायाम हैं ।

कोरोना जैसी महामारी में सम्पूर्ण विश्व के करोड़ों लोगों ने व्यायाम, योग,प्राणायाम ,ध्यान आदि शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से  स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है। 

अतः साधारण रूप से शरीर की स्वस्थता  और मन की  प्रसन्नता व्यायाम के लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य और व्यायाम को सभी लोग लाभकर मानते हैं पर इसके साथ ही साथ यदि ब्रह्मचर्य का पालन नहीं किया जाता तो व्यायाम भी हितकर नहीं हो पाता । 

ब्रह्मचर्य रक्षा से ही आयु, यज्ञ ,विद्या, बुद्धि आदि बढ़ते हैं इनके बिना सभी प्रकार के व्यायाम व्यर्थ हो जाते हैं। 

यही कारण है कि जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का नियमित पालन करते हैं । उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है उनकी बुद्धि प्रखर होती है तथा उनके मुंह पर एक प्रकार का तेज व्याप्त रहता है ।अतः व्यायाम के साथ ही संयम नियम की आवश्यकता कम नहीं है

व्यायाम करते समय सावधानियाँ:-- व्यायाम का उचित समय प्रातः काल  और सांयकाल प्रायः शौच इत्यादि से निवृत्त होकर बिना कुछ खाए  शरीर पर थोड़ी तेल मालिश करके व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम करते समय  इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शरीर के सभी अंग प्रत्यंगों  का व्यायाम हो । 

शरीर के कुछ ही अंगों पर  जोर पड़ने से वह पुष्ट हो जाते हैं परंतुु अन्य  अंग कमजोर ही बने रहते हैं। इस तरह शरीर बेडौल हो जाता है। व्यायााम करते समय जब स्वांस  फूलने लगे तो व्यायाम  करना बंद कर देना चाहिए अन्यथा शरीर की नसेंं टेढ़ी हो जाती हैं और शरीर बुरा लगने लगता है ।

जैसा कि अधिकांश पहलवानों को देखा जाता है। किसी की टांगे टेढ़ी तो किसी के कान ।

व्यायाम करते समय मुंह से स्वास कभी नहीं लेनी चाहिए। सदा नाक से लेनी चाहिए । व्यायाम के लिए सही स्थान वह है जहाँ शुद्ध वायु और प्रकाश हो एवं स्थान भी खुला हुआ हो क्योंकि फेफड़ों में शुद्ध वायु आने से उनमें शक्ति आती है। एक नवीन स्फूर्ति आती है और उनकी अशुद्ध वायु बाहर निकलती है। व्यायाम के तुरंत पश्चात फिर थोड़ा तेल मालिश करनी चाहिए। जिससे शरीर की थकान दूर हो जाए। फिर प्रसन्नता पूर्वक शुद्ध वायु में कुछ समय तक विश्राम और विचरण करना चाहिए।

 जब शरीर का पसीना सूख जाए और शरीर की थकान दूर हो जाए तब स्नान करना चाहिए इसके पश्चात दूध आदि कुछ पौष्टिक पदार्थ का सेवन परम आवश्यक है। बिना पौष्टिक पदार्थों के व्यायाम से भी अधिक लाभ नहीं होता । व्यायाम  का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। 

व्यायाम का महत्व:--    अस्वस्थ व्यक्ति ने अपना कल्याण कर सकता है। न अपने परिवार का न अपने समाज की उन्नति कर सकता है और न देश की।  जिस देश के व्यक्ति अस्वस्थ और अशक्त होते हैं वह देश न आर्थिक  उन्नति कर सकता है न देश का निर्माण । 

 देश की उन्नति वाह्य और आंतरिक शत्रुओं से रक्षा वहां के नागरिकों पर आधारित होता है । सभ्य और अच्छा नागरिक वही हो सकता है जो तन ,मन और धन से देशभक्त हो तो मानसिक और आत्मिक स्थिति में उन्नत हो । इन दोनों ही कर्मों में शरीर का स्थान प्रथम है ।

बिना शारीरिक उन्नति के मनुष्य न देश की रक्षा कर सकता है और न अपनी मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है

महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह पहले व्यायाम  को व्यर्थ समझते थे । किंतु बाद में उन्होंने इसके महत्व को समझा और उससे शेष जीवन में नित्य प्रातः काल व्यायाम के रूप में भ्रमण करते थे ।

 निष्कर्ष:-- स्वस्थ मनुष्य की बुद्धि  ठीक रहती है   तथा अस्वस्थ   मनुष्य की बुद्धि मंद हो जाती है। जिससे उसकी स्मरण शक्ति नष्ट हो जाती है  स्मरण शक्ति नष्ट होने से अनेक प्रकार की बुराइयाँ आ जाती हैं । अतः स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम आवश्यक है । इसी प्रकार मानसिक उन्नति के लिए मानसिक व्यायाम आवश्यक है। पढ़ना ,लिखना ,चिंतन, मनन आदि मानसिक व्यायाम हैं । इसके द्वारा मन और बुद्धि का समुचित विकास होता है । मन में प्रफुल्लता और स्फूर्ति आती है ।

अतः मन का अवसाद और आलस्य हटाने के लिए व्यायाम आवश्यक है । 

हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें तथा जीवन के व्यस्त क्षणों  से कुछ समय निकालकर व्यायाम अवश्य करें। इससे हमारा मन और तन पूर्ण रूप से स्वस्थ रहेगा ।

🇮🇳 राजेश राष्ट्रवादी 


विनम्र निवेदन :- कृपया पोस्ट के संदर्भ में आपके comments के  published की प्रतीक्षा रहेगी ]



3 comments

  1. आप सभी को 21 जून विश्व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  2. 🙏🙏
    आप सभी को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । आपका दिन मंगलमय हो।

    ReplyDelete
  3. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी,आज के दिन को "विश्व योग दिवस " घोषित कराने के लिए धन्यवाद के पात्र हैं।

    ReplyDelete