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"बढती जनसंख्या की समस्या" अथवा "जनसंख्या विस्फोट" सबसे अच्छा हिन्दी निबंध/अनुच्छेद

"बढती जनसंख्या की समस्या" अथवा "जनसंख्या विस्फोट " सबसे अच्छा हिन्दी निबंध/अनुच्छेद   । प्रस्तावना:-- हम जानते हैं कि प्...


"बढती जनसंख्या की समस्या" अथवा "जनसंख्या विस्फोट " सबसे अच्छा हिन्दी निबंध/अनुच्छेद 


प्रस्तावना:--

हम जानते हैं कि प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना होता है। विश्व के कई देश इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाकर अपने- अपने देश की जनसंख्या को नियंत्रित करने में सफल भी हुए हैं। किंतु हमारे भारतवर्ष में जनसंख्या की विस्फोटक समस्या को सुलझाने के लिए अभी तक  कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है  जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सम्पूर्ण विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है।

हमारे देश में लगभग 3 सेकंड में   एक बच्च का जन्म होता है अतः 1 मिनट में लगभग 20 बच्चे तथा 1 घंटे मे 1200 बच्चे जन्म लेते हैं। 

तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या किसी भी देश की समस्त व्यवस्था को समूल नष्ट कर देने वाला बम है। यदि समय पर ही इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह सभी प्रकार की सुख समृद्धि को अपनी लपेट में घेर लेने की क्षमता रखती है। विश्व के अधिकांश विकासशील देश इस समस्या से निरंतर जूझ रहे हैं पर पूर्ण रूप से इस पर नियंत्रण पाने में असफल रहे हैं । 

" दो बच्चे उज्जवल भविष्य, अधिक बच्चे कहाँ भविष्य। "

जनसंख्या के संबंध में इतिहास के समस्त कार्यों में किसी न किसी रूप में विचार होता आया है पर पिछली शताब्दी के आरंभ में इस समस्या ने संसार का ध्यान अपनी और विशेष रूप से आकर्षित किया है। इसका श्रेय थॉमस रॉबर्ट माल्थस को है उन्होंने सबसे पहले जनसंख्या का एक वैज्ञानिक नियम प्रस्तुत करके संसार में एक हलचल पैदा कर दी थी जिसे माल्थस का सिद्धांत भी कहते हैं।

 इस सिद्धांत  के अनुसार जनसंख्या में वृद्धि ज्यामिति के अनुपात में तथा खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि अंकगणितीय अनुपात में होती है। अतः जनसंख्या में असंतुलन होने के कारण जनसंख्या समस्या बन जाती है।

जनसंख्या बढ़ोतरी के कारण:--

विकसित देशों की तेज आर्थिक विकास के लिए बहुत हद तक इन देशों की कुशल परिश्रम तथा शिक्षित जनसंख्या जिम्मेदार है। पर इसके ठीक विपरीत भारत, बांग्लादेश ,पाकिस्तान आदि देशों के आर्थिक विकास में इन देशों की एक कुशल, शिक्षित और रूढ़िवादी जनसंख्या बहुत बड़ी बाधा है। वर्तमान में भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर 2.5% प्रतिवर्ष है। हमारी जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का आठवां भाग है दूसरी ओर खाद्यान्न आदि में जनसंख्या के अनुपात में वृद्धि नहीं हो रही । इससे जनसंख्या की समस्या एक विकराल रूप धारण करती जा रही है

छोटा परिवार सुखी परिवार, बड़ा परिवार दुखी परिवार।

आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे देश की जनता में रूढ़िवादिता है और पिछड़े विचार हैं। वह अभी लड़कों को लड़कियों की अपेक्षा अधिक महत्व देते हैं। कई लड़कियों के पैदा होने के बाद भी वे लड़के की आशा में संतान उत्पन्न करते चले जाते हैं। हमारे गरीब देश में जहां गरीबी अभिशाप तो है ही इसके अलावा जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण भी है। निर्धन व्यक्ति यही सोचता है कि जितने बच्चे होंगे वह सभी मजदूरी या अन्य किसी प्रकार से कमा कर लाएंगे । परंतु वह यह नहीं देख पाता कि वह उनका पालन कैसे करेगा ?  बाल विवाह की प्रथा अभी भी प्रचलित है। जिससे लड़के- लड़कियों के विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले ही कर दिए जाते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम:-- 

जनसंख्या की लगातार वृद्धि सेेे देश को विभिन्न कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। सर्वप्रथम खाद्यान्नोंं की कमी के  कारण लोगों को संतुलित आहार नहीं प्राप्त हो पाता। जिससे उनके स्वास्थ्य में गिरावट आती है ।

 जनसंख्या वृद्धि के परिणाम स्वरूप बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ती है क्योंकि सबको समुचित रोजगार केेेे अवसर प्राप्त नहीं होते । 

जनसंख्या वृद्धि् से श्रम विभाजन हो जाता है, जिसकेेेे परिणाम स्वरूप उत्पादन की दर में कमी आती है । इससे प्रति व्यक्ति आय में कमी हो जाती है। स्कूल कॉलेजों मेंं अधिक भीड़ होनेे से शिक्षा के स्तर में भी गिरावट आती है। यातायात रहन-सहन आदि का स्तर भी गिर जाता है तथा महंगाई बढ़ जाती है। देश के आर्थिक विकास को अवरुद्ध करने में भी बढ़ी हुई जनसंख्या का बहुत योगदान होता है। संसार की 70% आबादी विकासशील देशों में रहती है और इसका बड़ा भाग भी एशिया में रहता है इसलिए अन्य महाद्वीपों की तुलना में एशिया में गरीबी अधिक है।

जनसंख्या रोकने के उपाय अथवा 

समाधानः--

संसार में कारखाने लगाने में भारत का स्थान नोवां है। फिर भी यहां पर प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है । अनेक परिवार तो ऐसे हैं जिन्हें खाने के लिए एक समय भी पूरा भोजन प्राप्त नहीं होता । गरीबी से भोजन का उत्पादन कम होता है और आबादी का अधिक। भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या के समाधान के लिए अनिवार्य है की जनसंख्या की वृद्धि दर में कमी लाई जाए। इसके लिए सर्वप्रथम जन्म दर में कमी लानी होगी।

 इसके लिए लड़के तथा लड़की की विवाह योग्य आयु बढ़ानी होगी देरी से विवाह करने से बच्चे कम होंगे। आत्म संयम तथा परिवार नियोजन के साधनों से भी जन्मदर कम की जा सकती है। 

शिक्षा के अधिक प्रचार से भी हम लोगों को छोटे परिवार के लाभ बताकर जन्म दर कम करने के लिए शिक्षा दे सकते हैं । लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर उनका जीवन स्तर ऊंचा उठाया जाए तो भी जन्म दर में कमी आ सकती है। जनसंख्या की गुणात्मक समस्या को सुलझाने के लिए जरूरी है कि देश का आर्थिक विकास किया जाए। इसके लिए देश के प्राकृतिक साधनों का पूरा उपयोग करते हुए कृषि तथा उद्योगों के क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए नए नए वैज्ञानिक तरीकों का अपनाना चाहिए । उचित प्रशिक्षण तथा कार्य करने के स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर के भी हम देश का आर्थिक विकास कर सकते हैं तथा देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या को हल कर सकते हैं। देश में लाखों एकड़ खाली जमीन को कृषि योग्य बना कर भी हम देश को आत्मनिर्भर बनाकर विकासशील बना सकते हैं।

निष्कर्ष:-- 


भारत को आर्थिक दृष्टि से समृद्धशाली बनाने के लिए हम भारतवासियों को परंपरागत रूढ़िवादी विचारों से मुक्त होकर जन्म दर कम करने के लिए सरकार के साथ सहयोग करना होगा।  

परिवार कल्याण की विभिन्न योजनाओं को अपनाकर जहां हम अपना परिवार सुखी बनाते हैं । वही देश को योग्य तथा स्वस्थ संतान देकर उन्नत करते हैं । देश के आर्थिक विकास में भी  सुशिक्षित एवं सुयोग्य व्यक्ति ही योगदान दे सकते हैं।

हम सबको एक जागरूक नागरिक की तरह सरकार के साथ सहयोग करते हुए जनसंख्या वृद्धि रूपी दानव पर विजय प्राप्त कर देश को सुखी एवं समृद्ध बनाना होगा। देश की अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ता हेतु ऐसे कदम उठाने होंगे जो किसी भी प्रकार जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण कर सके।

भारत सरकार को अविलंब सभी राजनीतिक दलों की सहभागिता से अनियंत्रित जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कठोर कानून बनाना चाहिए। वरना आने वाली पीढियाँ हमें कभी माफ नहीं करेंगी। 

# राजेश राष्ट्रवादी



2 comments

  1. 🙏
    Sir आपने बहुत अच्छा लेख लिखा है।

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  2. शुभ आशीर्वाद, बेटा।

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