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"स्वतंत्रता आंदोलन में RSS का योगदान " CONTRIBUTION OF THE RSS IN FREEDOM MOVEMENT

  "स्वतंत्रता आंदोलन में RSS का योगदान " CONTRIBUTION OF THE RSS IN FREEDOM MOVEMENT  मित्रों ,  अनेक बार टी वी डिबेट,  मीडिया या ...










 "स्वतंत्रता आंदोलन में RSS का योगदान "
CONTRIBUTION OF THE RSS IN FREEDOM MOVEMENT 

मित्रों

अनेक बार टी वी डिबेट,  मीडिया या राजनीतिक मंचों से यह प्रश्न उठाया जाता है कि स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का क्या योगदान था ?

स्वतंत्रता आंदोलन का सामान्यता अर्थ महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए आंदोलनों से ही समझा जाता है । 

सुभाष चंद्र बोस तथा लाल -बाल -पाल आदि की भूमिका और संघ की भूमिका को नजरअंदाज किया जाता है।

संघ दर्शन के अनुसार महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में तीन आंदोलन 1921, 1930 और 1942 में किए गए ।

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार जी ने स्वयं 1921 और 1930 के सत्याग्रह में भाग लिया था। उन्हें कारावास की सजा भी हुई थी। डा. हेडगेवार जी  19 अगस्त 1921 से 11 जुलाई 1922 तक कारावास में रहे ।

12 जुलाई को उनकी रिहाई के अवसर पर आयोजित सार्वजनिक सभा में उनका अभिनंदन करने हेतु कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता पंडित मोतीलाल नेहरू एवं चक्रवर्ती राजगोपालाचारी सरीखे नेता उपस्थित थे ।

1940 में डॉक्टर हेडगेवार जी की मृत्यु हो गई ।

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई। 6 अप्रैल 1931 से  गांधी जी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिना शर्त समर्थन संघ ने किया।

स्वयं डॉक्टर हेडगेवार जी ने सरसंघचालक  का पदभार डॉक्टर परांजपे को सौंप कर 21 जुलाई 1930 को तीन -चार हजार लोगों के साथ सत्याग्रह में भाग लिया ।इस सत्याग्रह में भाग लेने के कारण उन्हें 9 महीने का कारावास हुआ।

 8 अगस्त  1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी जी ने "अंग्रेजों भारत छोड़ो" यह ऐतिहासिक घोषणा की ।

विदर्भ वर्धा चिमूर में विशेष आंदोलन हुए

चिमूर आंदोलन का नेतृत्व कांग्रेस के उद्धव राव कोरेकर और संघ के अधिकारी दादा नाईक बाबूराव बेराडे, अन्ना जी सिरासकर कर कर रहे थे । इस आंदोलन में अंग्रेज की गोली से एक स्वयंसेवक बालाजी रायपुरकर  की मौत हो गई । 

उस वक्त तक  संघ कार्य का विस्तार विदर्भ प्रांत में अधिक था। इसलिए स्वयं सेवकों की सहभागिता उसी प्रांत में अधिक रही। 1943 के चिमूर आंदोलन  और सत्याग्रह में 125 सत्याग्रहियों पर मुकदमा चला असंख्य स्वयंसेवकों को कारावास में रखा गया।

परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि देश के अन्य भागों में स्वयंसेवकों की भूमिका स्वतंत्रता आंदोलन में नहीं रही। पूरे भारत में चले इस आंदोलन में स्थान स्थान पर संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और प्रचारकों ने  बढ़ चढ़कर भाग लिया।

  उदाहरण स्वरूप राजस्थान में जयदेव पाठक (प्रचारक, आर्मी विदर्भ में डॉक्टर अन्ना साहब देशपांडे, जसपुर छत्तीसगढ़ में श्री रमाकांत केशव देशपांडे , दिल्ली में श्री वसंतराव ओक और चंद्र कांत भारद्वाज, पटना (बिहार) के प्रसिद्ध कृष्ण बल्लभ प्रसाद नारायण सिंह बबुआ जी,  पूर्वी उत्तर प्रदेश में माधवराव देवड़ा, उज्जैन में दत्तात्रेय गंगाधर कस्तूरे आदि प्रमुख हैं ।

इसके अतिरिक्त अनेक कार्यकर्ता भूमिगत रहकर आंदोलन व सत्याग्रह को गति देने का कार्य कर रहे थे । इसके साथ यह भी तथ्य ध्यान में रखना होगा , सविज्ञा आंदोलन  शुरू करने से पहले तत्कालीन कांग्रेस नेताओं तथा महात्मा गांधी जी ने संघ के साथ कोई विचार-विमर्श नहीं किया था। और न संपूर्ण आंदोलन की कोई पूर्ण योजना बनी थी। डॉक्टर हेडगेवार  जी सहित संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता तथा प्रचारक स्वप्रेरणा से  आंदोलन में भाग ले रहे थे ।

डॉक्टर हेडगेवार जी जन्मजात राष्ट्रभक्त थे। स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र के लिए उनका संपूर्ण जीवन समर्पित था।

डा. हेडगेवार जी ने 1897 में  8 साल कीआयु में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के हीरक महोत्सव में विद्यालय में वितरित मिठाई को कूड़े में फेंक कर अंग्रेजों के गुलाम होने का गुस्सा प्रकट किया।

सुविचार इस योजना के अंतर्गत डॉक्टरी की पढ़ाई हेतु डा. हेडगेवार जी नागपुर छोड़कर कोलकाता गए।

जो क्रांतिकारियों का स्वतंत्रता प्राप्ति के प्रयास का प्रमुख केंद्र था ।

 डा. हेडगेवार जी  ने  1916 में डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करके कोलकाता से नागपुर वापस आने के पश्चात परिवार की जर्जर आर्थिक स्थिति के बावजूद अपना डॉक्टरी का व्यवसाय शुरू नहीं किया तथा अपनी गृहस्थी बसाने की इच्छा दूर-दूर तक नहीं रखी ।

उन्होंने स्वयं को स्वतंत्रता आंदोलन हेतु चलने वाले हर प्रकार की गतिविधियों के साथ संलग्न किया। व्यक्तिगत जीवन का कोई विचार न करते हुए अपनी सारी शक्ति, क्षमता और समय को राष्ट्र के लिए अर्पित कर दिया। ऐसी तीव्रता उनके मन में स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु थी।

इस प्रकार अनेकानेक उदाहरणों से  स्पष्ट है कि न केवल डा . हेडगेवार जी ने अपितु  उनके मार्गदर्शन में  समकालीन स्वयंसेवकों ने  स्वतंत्रता आंदोलन में बढ चढ करके भाग लिया। 


राजेश राष्ट्रवादी 


 

विनम्र निवेदन :- कृपया पोस्ट के संदर्भ में आपके comments के  published की प्रतीक्षा रहेगी ]



2 comments

  1. राष्टीय स्वयं सेवक संघ मुझे गर्व है में भी इसका हिस्सा हूं।

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