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हम 'वो' अंतिम पीढ़ी हैं ....जो...

   हम वो अंतिम पीढ़ी हैं  जो...... 🙏  कृपया,    इस मजेदार और यादगार लेख को   फ्री होकर..प्यार से पढ़िएगा। उल्टी यात्रा  आइये चलें .... 2021...




  हम वो अंतिम पीढ़ी हैं  जो......

🙏  कृपया,  इस मजेदार और यादगार लेख को  फ्री होकर..प्यार से पढ़िएगा।

उल्टी यात्रा 

आइये चलें ....

2021 से 1960 के दशक अर्थात बचपन की ओर....

जो 50 को पार कर गये हैं या निकट हैं उनके लिए यह पोस्ट अत्यधिक महत्वपूर्ण है।     🌹🙏🌹

मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना परिवर्तन  हमारी पीढ़ी ने देखा है।  हमारे बाद की किसी पीढ़ी को शायद ही... इतने परिवर्तन देख पाना संभव हो ।

🤔🤔🤔

# हम_वो अंतिम _पीढ़ी_हैं... 

जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और "वर्चुअल मीटिंग" जैसी असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है। 


🙏🏻 हम वो अंतिम पीढ़ी के लोग हैं...

जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियाँ सुनी हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है। 

प्लेट में डाल-डाल कर चाय पी है।


🙏 हम  वो अंतिम पीढ़ी के लोग  हैं ....

जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने मित्रों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं ।


🙏हम अंतिम  पीढ़ी  के वो लोग हैं ...

 जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।  


🙏हम उसी अंतिम पीढ़ी के लोग हैं .... 

जिन्होंने स्वजनों एवं प्रियजनों के लिए अपने मनोभाव पत्रों  में आदान- प्रदान किये हैं और उन पत्रों  के पहुँचने और उत्तर के वापस आने में महीनों तक प्रतीक्षा भी की है।


🙏हम उसी अंतिम  पीढ़ी के लोग हैं ....

जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी जीवन व्यतीत किया है।


🙏हम वो 🇮🇳 अंतिम पीढ़ी के लोग हैं .....

जो प्रायः अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा तेल लगा कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे।


🙏हम वो 🇮🇳 अंतिम पीढ़ी  के लोग हैं ...

जिन्होंने स्याही वाली दवात या पेन से कॉपी किताबें, कपडे और हाथ काले-नीले किये है। तख़्ती पर बांस की क़लम से लिखा है और तख़्ती धोई है।


🙏हम वो 🇮🇳 अंतिम पीढी के लोग हैं....

जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है।😀


🙏हम वो 🇮🇳 अंतिम पीढ़ी के लोग हैं ....

जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे। और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।


 🙏 हम वो 🇮🇳 अंतिम पीढ़ी के लोग हैं ...

जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है!


 🙏हम वो 🇮🇳 अंतिम पीढ़ी के लोग हैं ....

जिन्होंने गुड़  की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं। 


🙏हम निश्चित ही वो 🇮🇳 लोग हैं....

जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी तन्मयता से सुने हैं।


🙏हम वो 🇮🇳 अंतिम पीढ़ी के लोग हैं.... 

जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।

उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे।

एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था।

सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे।

वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं।

डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।


🙏हम वो  अंतिम पीढ़ी के लोग हैं 

जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए। 

अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं। 

और ......

🙏 हम वो  अंतिम पीढ़ी हैं.....

जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!


🙏 और हम इस दुनियाँ के वो लोग भी हैं.. जिन्होंने एक ऐसा 'अविश्वसनीय' सा  लगने वाला दृश्य देखा है।


कोरोना काल-खंड  में पारिवारिक सम्बन्धों (बहुत से पति-पत्नी , बाप - बेटा ,भाई - बहन आदि ) को एक दूसरे को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 पारिवारिक सम्बन्धों की तो बात ही क्या करें ? स्वयं व्यक्ति  को अपने ही हाथ से अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते हुए भी देखा है।🙏


 'अर्थी' को बिना चार कंधों के श्मशान घाट पर जाते हुए भी देखा है।

'पार्थिव शरीर' को दूर से ही 'अग्नि दाग' लगाते हुए भी देखा है।🙏


🙏हम आज के  भारत की एकमात्र वह पीढी हैं जिसने अपने 'माँ-बाप' की बात भी मानी और 'बच्चों' की भी मान रहे है।🙏


शादी में (buffet) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था  जैसे....

👉  उँगलियों के संकेत  से 2 लड्डू और गुलाब जामुन लेना ।

👉 पूडी छाँट-छाँट के और गरम- गरम लेना !

👉 पीछे वाली पंगत में झाँक के देखना क्या- क्या आ गया ? अपनी पंगत में क्या आना शेष है ? उसके लिए आवाज लगाना !

👉 पास वाले रिश्तेदार / मित्र के पत्तल में जबरदस्ती पूडी 🍪 रखवाना !

👉 रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।

👉 पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी उसके हिसाब से बैठने की पोजीशन बनाना।


👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।

 😜 

..............

एक बात बोलूँ...

इन्कार मत कीजिएगा ... 

यदि  यह पोस्ट थोड़ी सी भी अच्छी लगी है...

तो ये पोस्ट जितना चाहे लोगों को send करो

जो इस post को पढेगा।

उसको उसका 'बचपन' जरुर याद आयेगा।

वो आपकी वजह से अपने बचपन में चला जाएगा , चाहे कुछ देर के लिए ही सही।

और ये आपकी तरफ से उसको सबसे अच्छा 'गिफ्ट' होगा ।

☺️😊

[विनम्र निवेदन🙏 :- कृपया पोस्ट को पढकर पोस्ट के  विषय में अपना comments अवश्य ही  published कीजिएगा ]

1 comment

  1. This comment has been removed by a blog administrator.

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