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गृहं शून्यं सुतां विना, पाठ -6 , हिन्दी अनुवाद, प्रश्न- उत्तर रूचिरा भाग-3/ GRIHAM SHUNYAM SUTAAM VINA,CHEPTER-6, HINDI ANUWAD, QUESTION - ANSWER RUCHIRA PART -3

  गृहं शून्यं सुतां विना, पाठ -6 , हिन्दी अनुवाद, प्रश्न-उत्तर  रूचिरा भाग-3/ GRIHAM SHUNYAM SUTAAM VINA,CHEPTER-6, HINDI ANUWAD,QUESTION- A...


 गृहं शून्यं सुतां विना, पाठ -6 , हिन्दी अनुवाद, प्रश्न-उत्तर  रूचिरा भाग-3/ GRIHAM SHUNYAM SUTAAM VINA,CHEPTER-6, HINDI ANUWAD,QUESTION- ANSWER RUCHIRA PART -3

( यह पाठ कन्याओं की हत्या पर रोक और उनकी शिक्षा सुनिश्चित करने की प्रेरणा हेतु निर्मित है। समाज में लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव की भावना आज भी समाज में यत्र तत्र देखी जाती है। जिसे दूर करने की आवश्यकता है। संवादात्मक शैली में इस बात को सरल हिन्दी भाषा में अनुवाद करके प्रस्तुत किया गया है।)

संकेत:- शालिनी........प्रतीयते स्म।

हिन्दी अनुवाद:- 

"शालिनी गर्मियों के अवकाश में पिता के घर आती है। सभी प्रसन्न मन से उसका स्वागत करते हैं परंतु उसकी भाभी दुखी जैसी दिखाई दे रही थी।"

शालिनी:- हे भाभी! चिंतित जैसी दिखाई दे रही हो, क्या सभी कुशल हैं ? 

माला:-  हाँ, शालिनी मैं सकुशल हूँ। तुम्हारे लिए मैं क्या लाऊँ , ठंडा पेय या चाय ?

शालिनी:- अभी तो कुछ नहीं चाहती हूँ। रात्रि में सभी के साथ भोजन करूँगी। 

( भोजन के समय भी माला की मनोदशा स्वस्थ प्रतीत नहीं हो रही थी, परंतु उसने मुख से कुछ भी नहीं कहा)

राकेश:-  हे बहन शालिनी ! भाग्य से तुम आई हो, आज मेरे कार्यालय में एक महत्वपूर्ण गोष्ठी निर्धारित की गई है। आज ही माला का डॉक्टर के साथ मिलने का समय निर्धारित है तुम माला के साथ डॉक्टर की ओर जाओ, उसकी सलाह के अनुसार जो करना चाहिए वह करो ।

शालिनी:-  क्या हुआ ? क्या भाभी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है? मैं तो कल से ही देख रही हूँ वह ठीक नहीं लग रही थी, ऐसा लग रहा था।

संकेत:- राकेशः- चिन्ताया: ......आयासः ?

हिन्दी अनुवाद:-- 

राकेश:- चिंता का विषय नहीं है। तुम माला के साथ जाओ। रास्ते में वह सब कुछ बता देगी।

(माला और शालिनी डॉक्टर की ओर जाती हुई बात करती हैं)



शालिनी:- क्या हुआ? भाभी क्या समस्या है? माला:- शालिनी, मैं तीन महीने के बच्चे को कोख में धारण कर रही हूँ। तुम्हारे भाई का आग्रह है कि मैं लिंग परीक्षण करवाऊं  यदि कोख में कन्या है तो गर्भपात करवाऊं  मैं बहुत दुखी हूँ किंतु तुम्हारा भाई बात ही नहीं सुन रहा है।

शालिनी:- भाई ऐसा सोचने के लिए भी (अपने मन में विचार) कैसा ला सकते हैं। अगर शिशु कन्या है तो मारने योग्य है यह तो बहुत ही घृणित कृत्य है। तुमने विरोध नहीं किया? वह तुम्हारे शरीर में स्थित बच्चे को मारने की सोच रहा है तुम चुप बैठी हो? अभी ही घर चलो, लिंग परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। भाई जब घर आएगा मैं बात करूँगी। 

(शाम के समय भाई आता है, हाथ पैर धो कर और कपड़े बदल कर पूजा घर जाकर दीपक जलाता है भवानी माता की स्तुति भी करता है इसके बाद चाय पीने के लिए सभी एकत्रित हो जाते हैं)

राकेश:- हे माला, तुम डॉक्टर के पास गई थी उसने क्या कहा ?

(माला चुप रहती है उसी समय 3 वर्ष की पुत्री अंबिका पिता की गोद में बैठ जाती है और उससे चॉकलेट मांगती है। राकेश अंबिका को प्यार करता है, और उसको चॉकलेट देकर अपनी गोद से उतार देता है। और फिर माला की तरफ प्रश्नवाली दृष्टि डालता है । शालिनी यह सभी देखकर उत्तर देती है )

शालिनी:- हे भाई। तुम क्या जानना चाहते हो? उसकी कोख में पुत्र है या पुत्री? किसलिए? छः महीने के बाद सब स्पष्ट हो जाएगा समय से पहले यह प्रयास क्यों ?

संकेत:- राकेश: भगिनी !त्वं तु........त्वं मम् गुरूसि ।

हिन्दी अनुवाद:- हे बहन! तुम तो जानती हो कि हमारे घर में अंबिका पुत्री के रूप में है। अभी एक पुत्र की आवश्यकता है तो..... शालिनी:- तो कोख में पुत्री है तो मारने योग्य है, तुम हत्या का पाप करने के लिए तैयार हो। 

राकेश:- न,  हत्या तो नहीं....

शालिनी:-  तो यह क्रूर कार्य क्या है ? तुम बिल्कुल भूल गए हो हमारे पिता ने कभी पुत्री और पुत्र में कभी अंतर नहीं किया? उन्होंने हमेशा ही मनु स्मृति की पंक्तियों का उदाहरण दिया। "आत्मा ही पुत्र के रूप में उत्पन्न होती है पुत्री- पुत्र समान होते हैं।" तुम भी सुबह शाम देवी की प्रार्थना करते हो तुम क्यों सृष्टि को चलाने वाली शक्ति का तिरस्कार कर रहे हो? तुम्हारे मन में यह बुरी सोच आ गई यह सोच कर ही मैं बहुत दुखी हूँ। तुम्हारी शिक्षा ही बेकार चली गई....

राकेश:- हे बहन! रुको, रुको। मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ और मैं लज्जित भी हूँ। आज से कभी भी इस निंदनीय कार्य के बारे में सपने में भी नहीं सोचूँगा। जैसी अंबिका मेरे हृदय के पूर्ण स्नेह की अधिकारी है उसी प्रकार आने वाला बच्चा भी प्यार का अधिकारी होगा चाहे वह पुत्र हो या पुत्री। मैं अपने निंदनीय विचार के लिए बहुत ही पश्चाताप कर रहा हूँ। मैं कैसे भूल सकता हूँ।

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।

यत्रैता: न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः  क्रियाः।"

" जहां नारियाँ पूजी जाती हैं, वहाँ देवता निवास करते हैं, जहाँ ये नहीं पूजी जाती वहाँ सभी कार्य निरर्थक हो जाते हैं।"

अथवा "पिता से दश गुना माता होती है।" बहन।  तुमने मुझे अच्छा मार्ग दिखाया है,  तुम छोटी होते हुए भी मेरी गुरु हो।

संकेत:- शालिनी-अलम् पश्चातापेन। ..........सदोत्साह्यताम्।

हिन्दी अनुवाद:- 

शालिनी:-  पश्चाताप मत करो। तुम्हारे मन से अज्ञान/अंधकार दूर हो गया। यह प्रसन्नता का विषय है। हे भाभी, आओ! सभी चिंताओं को छोड़ दो और आने वाले बच्चे के स्वागत के लिए तैयार हो जाओ। तुम भी प्रतिज्ञा करो -- कन्या की रक्षा करने में , उसको पढ़ाने में अपना मन लगा दूँगा। "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।" ऐसी सरकार की घोषणा तभी सार्थक होगी जब हम सभी मिलकर इस सोच को यथार्थ रूप में करेंगे :--

या गार्गी श्रुतचिन्तने नृपनये पाञ्चालिका विक्रमे।

लक्ष्मी: शत्रुविदारणे गगनं विज्ञानांणे कल्पना।

इन्द्रोद्योगपथे च खेलेगा ख्याति साइना 

सेयं स्त्री सकलासु दिक्षु सबला सर्वैः सदोत्साह्यताम्।

वेद शास्त्रों के चिंतन में जो गार्गी तथा राजनीति और 

पराक्रम में द्रौपदी के समान है, 

जो शत्रुओं को परास्त करने वाली लक्ष्मीबाई के समान हो, 

जिसने विज्ञान के क्षेत्र में अंतरिक्ष में उड़ान की कल्पना 

चावला

उद्योग जगत में इंदिरा और खेल जगत में साइना इस प्रकार 

इन शक्तिशाली स्त्रियों को प्रोत्साहित करें।

🌹अभ्यास:🌹

प्रश्न 1-अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृत भाषया लिखत:-----

क. दिष्ट्या का समागता ?

उत्तर- दिष्टया शालिनी समागता। 

ख- राकेशस्य कार्यालये का निश्चिता ?

उत्तर- राकेशस्य कार्यालये महत्वपूर्ण गोष्ठी निश्चित ?

ग- राकेश: शालिनीं कुत्र गन्तुं कथयति?

उत्तर- राकेश: शालिनीं मालया सह चिकित्सकां प्रतिगंतुं कथयति। 

घ. सांयकाले भ्राता कार्यालयात् आगत्य किम् करोति?

उत्तर-स: हस्तपादादिकं प्रक्षाल्यं वस्त्राणि च परिवर्त्य पूजागृहं गत्वां द्विपं प्रज्वालयति भवानी स्तुतिं करोति।

ङ- राकेश: कस्या तिरस्कारं करोति?

उत्तर- राकेश: सृष्टे उत्पादिन्यां शकत्या: तिरस्कारं करोति। 

च- शालिनीं भ्रातरम् कां प्रतिज्ञां कर्तुं कथयति ?

उत्तर- शालिनीं भ्रातरं "कन्याया: रक्षणे, तस्या: पाठने च दत्तचित्तः स्थास्यसि। " इति प्रतिज्ञां कर्तुं कथयति।

प्रश्न छ- यत्र नार्यः न पूज्यन्ते तत्र किम् भवति?

उत्तर- यत्र नार्यः न पूज्यते तत्र सर्वाः क्रिया अफला भवन्ति। 



# राजेश राष्ट्रवादी।

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