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कः रक्षति कः रक्षित:/ कक्षा-8/ द्वादशः पाठः/ हिन्दी अनुवाद/प्रश्न-उत्तर आदि/ KA RAKSHTI KA RAKSHITA/CLAS-8/ CHEPTER-12/HINDI -ANUVAD/ QUESTION-ANSWER ETC.

 कः रक्षति कः रक्षित:/ कक्षा-8/ द्वादशः पाठः/ हिन्दी अनुवाद/प्रश्न-उत्तर आदि/ KA RAKSHTI KA RAKSHITA/CLAS-8/ CHEPTER-12/HINDI -ANUVAD/ QUEST...


 कः रक्षति कः रक्षित:/ कक्षा-8/ द्वादशः पाठः/ हिन्दी अनुवाद/प्रश्न-उत्तर आदि/ KA RAKSHTI KA RAKSHITA/CLAS-8/ CHEPTER-12/HINDI -ANUVAD/ QUESTION-ANSWER ETC.

      कः रक्षति कः रक्षितः 

        (किसने रक्षा की है, किसकी रक्षा की है)

संकेत:- ग्रीष्मर्तौ  सांयकाले...... इवाचरामः अनेन प्रकारेण ।

हिन्दी अनुवाद:- 

(ग्रीष्म ऋतु में शाम के समय बिजली के अभाव में तेज गर्मी से परेशान वैभव घर से बाहर निकलता है।)

वैभव:- अरे परमिंदर! क्या तुम भी बिजली के अभाव से परेशान होकर बाहर आए हो ?

परमिन्दर:-, हां मित्र एक तो तेज गर्मी और दूसरा बिजली का अभाव परंतु बाहर आकर देखता हूं कि हवा का वेग तो सभी और रुका है सत्य ही कहा है---

संपूर्ण संसार हवा से प्राणवान (जीवित) है, संपूर्ण सृष्टि चैतन्यमयी है। इसके (हवा के) बिना एक क्षण भर भी नहीं जी सकते, हवा सबसे अधिक मूल्यवान है।

विनय:- अरे मित्र! शरीर से केवल पसीने की बूंदे नहीं अपितु पसीने की धारा बह रही है। शुक्लमहोदय के द्वारा रचित श्लोक याद आ रहा है।  संसार को गर्म हवा(लू) के आघात से बचाने के लिए पुलिस वालों की तरह आकाश में बादल समय पर नहीं दिखाई दे रहे हैं। 

परमिंदर:- हाँ आज तो निश्चय ही--

गर्मी के ताप से दुखी मनुष्य का तालू (गला) ही सूखा जाता है। शरीर डरे हुए मनुष्य के समान पसीने से तर हो जाता है ।

जोसेफ:- मित्रों!  जहाँ-तहाँ बहुमंजिला इमारतों के,  जमीन के नीचे बने रास्तों के विशेष रूप से मेट्रो मार्गों के, ऊपर से जाने वाले रास्तों (फ्लाईओवर) मार्गो इत्यादि के निर्माण के लिए वृक्ष काटे जा रहे हैं तो हमारे द्वारा अन्यों (दूसरों से) क्या अपेक्षा की जा सकती है ? हम तो भूल ही गए हैं--

 जैसे कुपुत्र के द्वारा कुल का नाश होता है, वैसे ही एक सूखा वृक्ष अग्नि के द्वारा जलाए जाने पर उस संपूर्ण वन को जला देता है।

परमिंदर:--  हाँ, यह भी सर्वथा सत्य है। आओ नदी के किनारे चलते हैं। वहां कुछ शांति प्राप्त कर सकते हैं।

(नदी के किनारे जाने के इच्छुक बालक जहाँ-तहाँ कचरे के ढेर को देख कर बातें करते हैं ।

जोसेफ:- देखो मित्रों - जहाँ-तहाँ प्लास्टिक की थैलियां और दूसरा कचरा फेंका हुआ है।  कहते हैं कि स्वच्छता स्वास्थ्य की जननी है, परंतु इस प्रकार हम तो शिक्षित होते हुए भी अशिक्षित के समान आचरण करते हैं।

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संकेत:-- गृहिणी तु अस्माभि: ........ जलविहारः । 

वैभव :- घर तो हमारे द्वारा प्रतिदिन साफ किए जाते हैं परंतु अपने पर्यावरण की स्वच्छता की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता है। 

विनय :- देखो -देखो ऊपर से अभी भी रास्ते पर कचरा फेंका जा रहा है। 

(बुलाकर) हे महोदया ! रास्ते में घूमने वालों पर कृपा करो। यह तो सर्वथा गलत कार्य है। हम जैसे बालकों को आप जैसी महिलाओं के द्वारा ऐसे संस्कार दिए जाते हैं। 

रोजलिन:- हां बेटा सर्वथा सत्य बोल रहे हो क्षमा करो, अभी ही आ रही हूँ। 

(रोजलिन आकर बालकों के साथ खुद के द्वारा फेंका हुआ कचरा और रास्ते में पहला दूसरा कचरा भी उठाकर कचरे दान में डालती है ।)

बालक :-  इस प्रकार ही जागरूकता से ही प्रधानमंत्री महोदय के स्वच्छता अभियान को भी गति प्राप्त होगी। 


विनय:- देखो देखो वहाँ गाय सब्जी फलों के छिलकों के साथ प्लास्टिक की थैली खा रही है।  जैसे तैसे इसका निवारण किया जाए। (रास्ते में केला बेचने वाले को देखकर केले खरीद कर गाय को बुलाते हैं और खिलाते हैं और रास्ते से प्लास्टिक की थैलियां उठाकर ढके हुए कूड़ेदान में डालते हैं ।)

परमिंदर:- प्लास्टिक के मिट्टी में मिल न पाने से हमारे पर्यावरण का बहुत नुकसान होता है। पहले तो कपास से, चमड़े से, लोहे से, लाख से ,मिट्टी से अथवा लकड़ी से निर्मित वस्तुएं ही मिलती थी । अब उनके स्थान पर प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ ही मिलती हैं। वैभव:- हां घड़ी का पट्टा, अन्य बहुत प्रकार के बर्तन कलम आदि सब तो प्लास्टिक से ही बना होता है। 

जोसेफ:- हाँ हमारे द्वारा माता पिता और शिक्षकों के सहयोग से प्लास्टिक के अनेक पक्ष पर विचार करना चाहिए। पर्यावरण के साथ पशुओं की भी रक्षा करनी चाहिए।

इस प्रकार बात करते हुए सभी नदी के किनारे पहुंचते हैं नदी के जल में स्नान करते हैं और गाते हैं....

हे मित्र! अच्छे पर्यावरण से ही संसार की अच्छी स्थिति है। संसार में उत्पन्न हुए जीवों की उत्पत्ति पृथ्वी पर ही संभव है।

सभी :-- यह पानी में तैरना अत्यंत आनंद देने वाला है।

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                   अभ्यास:

प्रश्न 1 प्रश्नानानामुत्तराणि एकपदेन लिखत--

क. केन पीड़ित: वैभव: बहिरागतः?

उत्तरम् - प्रचण्डोष्मणा। 

ख. भवनेत्यादीनां निर्माणाय के कर्त्यन्ते?

उत्तरम्- वृक्षा:

ग. मार्गे किं दृष्ट्वा बाला: परस्परं वार्तालाप कुर्वन्ति?

उत्तरम्- अवकरभाण्डारम्  ।

घ. वयं शिक्षिता: अपि कथमाचरामः ?

उत्तरम्:- अशिक्षितेव। 

ङ. प्लास्टिकस्य मृत्तिकायां लयाभावात् कस्य कृते महती क्षति: भवति ?

उत्तरम् - पर्यावरणस्य। 

च. अद्य निदाघतापततप्तस्य किं शुष्कतां याति ?

उत्तरम्- तालु:।

प्रश्न 2 पूर्णवाक्येन उत्तराणि लिखत--

क. परमिंदर् गृहात् बहिरागत्य किं पश्यति?

उत्तरम्- परमिंदर् गृहात् बहिरागत्य पश्यति यत् वायुवेगः सर्वथा अवरूद्ध: अस्ति। 

ख. अस्माभि: केषां निर्माणाय वृक्षा: कर्त्यन्ते?

उत्तरम्- अस्माभि: बहुभूमिकभवनानां, भूमिगतमार्गाणां,  उपरिगमिसेतूनाम् च निर्माणाय वृक्षाः कर्त्यन्ते। 

ग. विनय: संगीतामाहूय किं वदति ?

उत्तरम्- विनयः वदति यत् "महोदये! कृपां कुरू मार्गे भ्रमद्भ्यः।  एतत् तु सर्वथा अशोभनं कृत्यम्।  अस्मद्सदृशेभ्यः बालेभ्यः भवतीसदृशै: एवं संस्कारा देया: ।

घ. रोजलिन् आगत्य किं करोति?

उत्तरम्- रोजलिन् आगत्य बालैः साकम् स्वक्षिप्तमवकरं मार्गे विकीर्णमन्यदवकरं चापि संगृह्य अवकरकण्डोले पातयति। 

ङ- अन्ते जोसेफ: पर्यावरणस्यै कः उपायः बोधयति ?

उत्तरम्- अन्ते जोसेफ: पर्यावरणस्य उपाय: बोधयति यत् अस्माभि: पित्रो: शिक्षिकाणां सहयोगेन प्लास्टिकस्य विविधपक्षा: विचारणीयाः। पर्यावरणेन सह पशवः अपि रक्षणीया:।

प्रश्न 4 सन्धिविच्छेदं पूरयत्-

उत्तरम्--------

क. = ग्रीष्म्+ ॠतौ 

ख.= बहि: + आगत्य 

ग. = काम् + चित् 

घ. = तत्   + वनम् 

ङ = कलम् + इत्यादीनि 

च = अतीव + आनन्दप्रदः + अयम् 

प्रश्न 5 विशेषणपदै: सह विशेष्यपदानि योजयत्---

उत्तरम्-------

काञ्चित् = शान्तिम् 

स्वच्छानि = गृहाणि 

पिहिते  = अवकरकण्डोले 

स्वच्छता = स्वास्थ्यकरी 

गच्छन्ति = मित्राणि

अन्यत्  = अवकरम् 

महति  = क्षति: 


नोट:- उपरोक्त प्रयास के संदर्भ में अपने विचार comments में अवश्य ही लिखें।

🇮🇳 राजेश राष्ट्रवादी 






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