"विजयी विश्व तिरंगा प्यारा", झंडा गीत ,रचनाकार श्री श्याम लाल गुप्त जी/ "VIJAYI VISHVA TIRANGA PYARA", JHANDA GEET , ...
"विजयी विश्व तिरंगा प्यारा",
आइए ! आज हम आजादी के अमृत-महोत्सव पर राष्ट्रभक्तों में राष्ट्र के प्रति जोश जगाने वाले 'झंडागीत' और 'झंडागीत' के रचनाकार महापुरूष स्व. श्री श्याम लाल गुप्त जी के विषय में जानें....
🇮🇳 झंडागीत 🇮🇳
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा ।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला ,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा ।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा ..
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण- क्षण में,
कांपे शत्रु देख कर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा ।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा...
इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोले भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा ।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा,
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा..
झंडा ऊंचा रहे हमारा
राष्ट्र-प्रेम को बढाता झंडागीत:---
'झंडागीत' की रचना स्वाधीनता सेनानी श्री श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' जी ने की थी। 'पार्षद' जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर के नर्वल में 9 सितंबर 1896 को हुआ था। विश्वेश्वर प्रसाद जी एवं कौशल्या देवी जी के पांच बेटों में श्यामलाल जी सबसे छोटे थे।
बचपन से ही उनके मन में देश के प्रति भावनाएं उफान पर थी। भारत की पराधीनता से वह व्यथीत रहते। 1921 में उनकी मुलाकात महान क्रांतिकारी श्री गणेश शंकर विद्यार्थी जी से हुई। विद्यार्थी जी के संपर्क में आने के बाद वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। कानपुर के साथ-साथ श्यामलाल गुप्त जी ने फतेहपुर को भी अपना कर्मक्षेत्र बनाया ।
21 अगस्त 1921 को फतेहपुर में असहयोग आंदोलन शुरू करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। श्यामलाल गुप्त जी को 8 बार जेल भेज कर प्रताड़ित करने का प्रयास हुआ। लेकिन वह विचलित नहीं हुए और भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने के लिए जी जान से जुटे रहे। 1924 में महात्मा गांधी की प्रेरणा से श्री श्यामलाल जी ने 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' गीत की रचना की।
23 दिसंबर 1925 को गांधी जी की मौजूदगी में इसे 'झंडागीत' की मान्यता दी गई। कानपुर में कांग्रेस के सम्मेलन में पहली बार झंडा गीत का गान हुआ। स्वाधीनता प्राप्ति के उपरांत 15 अगस्त 1952 को उन्होंने लाल किले में झंडा गीत गाकर इस देश को समर्पित कर दिया। 26 जनवरी 1973 को श्री श्याम लाल गुप्त जी को 'पदम श्री' से सम्मानित किया गया था।
🇮🇳 राजेश राष्ट्रवादी
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