रूचिरा भाग-3 कक्षा 8/ चतुर्थः पाठः / "सदैव पुरतो निधेहि चरणम्" / पाठ का अनुवाद/ अभ्यास-प्रश्न/ LESSON-4 SADAIV PURTO NIDHEHI CHAR...
रूचिरा भाग-3
चतुर्थः पाठः
सदैव पुरतो निधेहि चरणम्
( हमेशा कदम आगे रखो /बढ़ाओ )
[पाठ का सार प्रस्तुत पाठ एक चुनौती भरा गीत है जिसके रचयिता श्रीधर भास्कर वर्णेकर हैं । उनके इस गीत में सभी प्रकार की बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने का संदेश दिया गया है । जिससे बच्चों में कर्मठता की भावना जागृत हो सके ]
पाठ का अनुवाद
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1.
चल चल पुरतो निधेहि चरणम् ।
सदैव पुरतो निधेहि चरणम् ।
गिरिशिखरे ननु निजनिकेतनम् ।
विनैव यानं नगारो हणम् ॥
बलं स्वकीयं भवति साधनम्
सदैव पुरतो ..... .॥
शब्दार्थाः - 👇
पुरतो = आगे (ahead)
निधेहि =रखो (put)
सदैव =हमेशा ही (always)
गिरिशिखरे =पर्वत के शिखर पर (on the top of mountain )
निजनिकेतनम् = अपना निवास (own abode)
विनैव = बिना ही (without)
नगारोहणम् = पर्वत पर चढ़ना
(Climbing on mountain) स्वकीयम् =अपना (own)
अनुवाद:-- 👇
चलो , चलो आगे कदम बढाओ ।
हमेशा आगे ही कदम बढ़ाओ पर्वत के शिखर पर अपना निवास बनाओ ।
बिना यान के ही पर्वत पर चढ़ जाओ ।
अपना साधन बल होता है ।
हमेशा आगे कदम बढ़ाओ ।
2.
पथि पाषाणा विषमाः प्रखराः ।
हिंस्राः पशवः परितो घोराः ।।
सुदुष्करं खलु यद्यपि गमनम्।
सदैव पुरतो ...
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शब्दार्था : --👇
पथि = मार्ग में (on the way)
पापाणा = पत्थर (stones )
विषमाः = असामान्य (odd)
हिंसाः = हिंसक (pedatory)
परितः = चारों ओर (all around )
घोराः = भयंकर (fearful )
सुदुष्करम् = अत्यन्त कठिनतापूर्वक साध्य
गमनम् = जाना (going )
अनुवाद--
मार्ग में नुकीले व असामान्य पत्थर होंगे ।
चारों ओर भयानक व हिंसक पशु होंगे ।
यदि अत्यन्त कठिनतापूर्ण साध्य पर भी जाना हो ।
हमेशा आगे कदम बढ़ाओ ।
3.
जहीहि भीतिं भज भज शक्तिम् ।
विधेहि राष्ट्रे तथाऽनुरक्तिम् ॥
कुरु कुरु सततं ध्येय - स्मरणम् ।
सदैव पुरतो .. ...॥
शब्दार्था : -
जहीहि = छोड़ दो (leave aside)
भीतिम् = डर को (fear)
भज = जपो (call upon)
विधेहि = करो (do)
अनुरक्तिम् = स्नेह , प्रेम (affectio
कुरु = करो (do)
सततम् = लगातार (continuously)
ध्येय =उद्देश्य (objective)
स्मरणम् = याद करो (remember )
अनुवाद--
डर को छोड़ दो ,
शक्ति को जपो ।
राष्ट्र से प्रेम करो ।
लगातार अपने लक्ष्य को याद करो ।
हमेशा आगे कदम बढ़ाओ ।
अभ्यास - प्रश्न
प्रश्न 2. अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखें ।
( क ) स्वकीयं साधनं किं भवति ?
( अपना साधन क्या होता है ?)
(ख) पथि के विषमाः प्रखराः ?
( पथिक के मार्ग में नुकीले क्या हैं ? )
( ग ) सततं किं करणीयम् ?
( लगातार क्या करना चाहिए ? )
( घ ) एतस्य गीतस्य रचयिता कः ?
( इस गीत का लेखक कौन है ? )
( ङ ) सः कीदृशः कविः मन्यते ?
( वह कैसा कवि माना जाता है ? )
उत्तर-
( क ) बलम्
( ख ) पाषाणाः
( ग ) ध्येयस्मरणम्
( घ ) श्रीधरभास्करः वर्णेकरः
( ङ ) राष्ट्रवादी कविं
प्रश्न 3. मञ्जूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत :--
( मञ्जूषा से क्रियापदों को चुनकर रिक्त स्थान भरिए )
[निधेहि, विधेहि, जहीहि, देहि, भज, चल, कुरु]
उत्तर:--
यथा- त्वं पुरतः चरणं निधेहि ।
( क ) त्वं विद्यालयं चल ।
( ख ) राष्ट्रे अनुरक्तिं विधेहि ।
( ग ) मह्यं जलं देहि ।
( घ ) मूढ़ जहीहि धनागमतृष्णाम् ।
( ङ ) भज गोविन्दम् ।
( च ) सततं ध्येयस्मरणं कुरु ।
प्रश्न 4. मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्यानानि पूरयत।
( मञ्जूषा से अव्ययपदों को चुनकर रिक्त स्थान भरिए )
[एव, खलु, तथा, परितः ,पुरतः, सदा, विना]
उत्तरः--
( क ) विद्यालयस्य पुरतः एकम् उद्यानम् अस्ति ।
( ख ) सत्यम् एव जयते ।
( ग ) किं भवान् स्नानं कृतवान् खलु ?
( घ ) सः यथा चिन्तयति तथा आचरति ।
(ङ) ग्रामं परितः वृक्षाः सन्ति ।
( च ) विद्यां विना जीवनं वृथा।
( छ ) सदा भगवन्तं भज ।
प्रश्न 5. विलोमपदानि योजयत-
( विपरीतार्थक शब्द लिखिए )
उत्तर:--
पुरतः = पृष्ठतः
स्वकीयम् = आगमनम्
भीतिः = साहसः
अनुरक्तिः = विरक्ति:
गमनम् = आगमनम्
अति उत्तम
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏
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