वाच्य/ वाच्य के भेद- परिभाषा सहित/ VACHAY/ VACHAY KE BHED- PARIBHASHA SAHIT ********************** वाच्य वाच्य क्या ...
वाच्य/
वाच्य के भेद- परिभाषा सहित/ VACHAY/
VACHAY KE BHED- PARIBHASHA SAHIT
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वाच्य
वाच्य क्या है ? यह जानने-समझने के लिए निम्नलिखित वाक्यों को पढ़ते हैं:--
1.किसान फसल उगाता है।
2.छात्रों द्वारा सुलेख लिखा जाता है।
3.मरीज से उठा नहीं जाता है।
इन 🖕वाक्यों में क्रिया का विधान एक समान नहीं है।
● पहले वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का विधान कर्ता (किसान) के अनुसार
● दूसरे वाक्य में क्रिया का विधान कर्म (सुलेख) के अनुसार
● और तीसरे वाक्य में क्रिया का विधान भाव के अनुसार
हुआ है। इसे ही वाच्य कहते हैं।
अतः हम वाच्य को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं-👇
"क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि क्रिया का प्रयोग कर्ता के अनुसार है या कर्म के अनुसार या भाव के अनुसार, उसे वाच्य कहते हैं।"
वाच्य के भेद वाच्य के तीन भेद होते हैं-
1. कर्तृवाच्य 2. कर्मवाच्य 3. भाववाच्य
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1. कर्तृवाच्य :-
जिन वाक्यों में 'कर्ता' की प्रधानता होती है और क्रिया का विधान कर्ता के लिंग, वचन के अनुसार होता है। उन्हें कर्तृवाच्य कहते हैं।
उदाहरण:-
(क) कबूतर दाने चुग रहे हैं।
(ख) लड़के क्रिकेट खेल रहे हैं।
(ग) रोहन पुस्तके खरीद रहा है।
(घ) रौनक सेब खा रही है।
(ङ) सूरज चमक रहा है।
(च) महक निबंध लिखती है।
(च) सूरज चमक रहा है।
उपर्युक्त वाक्यों को पढ़ने से ज्ञात होता है कि-
1. कर्तृवाच्य वाले वाक्यों में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाएँ प्रयोग की जा सकती हैं।
2. इन वाक्यों में क्रिया का प्रयोग सदैव कर्ता के अनुरूप किया गया है; जैसे-पहले दोनों वाक्यों में क्रिया बहुवचन रूप में प्रयुक्त है क्योंकि इनके कर्ता बहुवचन हैं तथा अन्य वाक्यों में प्रयुक्त क्रिया एकवचन है, क्योंकि इनक कर्ता एकवचन हैं।
3. क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग के अनुसार किया गया है; जैसे-‘रौनक' और ‘महक' स्त्रीलिंग हैं। इनके साथ प्रयुक्त क्रिया भी स्त्रीलिंग हैं। इसी प्रकार पुल्लिंग कर्ताओं के साथ पुल्लिंग क्रियाओं का प्रयोग हुआ है।
4. कर्तृवाच्य में कर्ता प्रधान होता है और कर्म गौण ।
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2. कर्मवाच्य:--
जिन वाक्यों में 'कर्म' की प्रधानता होती है और क्रिया का विधान कर्म के लिंग, वचन के अनुसार होता है, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
उदाहरण:--
(क) राम के द्वारा रोटियाँ खाई जाती हैं।
(ख) किसान के द्वारा फसल काटी जाती है।
(ग) सुमन के द्वारा स्वेटर बुना जाता है।
(घ) मरीज से खाना नहीं खाया जाता है।
(ङ) कविता से चित्र नहीं बनाया जाता।
(च) मेरे द्वारा यह सवाल हल नहीं किया जा सकता।
कर्मवाच्य की पहचान:--
1. प्रायः कर्मवाच्य में कर्ता के बाद 'से', 'के द्वारा' या 'द्वारा' का प्रयोग होता है, जैसे:--
• बच्चे से फल नहीं खाया गया। (कर्ता + से)
• चित्रकार के द्वारा चित्र बनाया गया। (कर्ता + के द्वारा)
• अध्यापिका द्वारा सवाल हल कराए गए। (कर्ता + द्वारा)
2. कुछ वाक्यों में कर्ता का लोप भी देखा जाता है। जैसे:--
●चिट्ठियाँ भेज दी गई हैं। (कर्ता का लोप)
● मजदूरों का हिसाब कर दिया गया है। (कर्ता का लोप))
3. क्रिया में एक से अधिक पद होते हैं।
4. 'जाना' या 'जा' के विभिन्न रूपों का प्रयोग होता है।
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3. भाववाच्य:--
जिन वाक्यों में कर्ता और कर्म दोनों ही गौण तथा 'भाव' की प्रधानता हो और क्रिया का विधान भाव के अनुसार होता है, उसे भाववाच्य कहते हैं।
उदाहरण:--
(क) पक्षियों से उड़ा जाता है।
(ख) कुत्ते द्वारा जोर से भौंका जाता है।
(ग) वृद्धा से चला नहीं जाता।
(घ) मरीज से उठा नहीं जाता।
(ङ) मोटे आदमी से दौड़ा नहीं जाता।
🖕उपर्युक्त वाक्यों में हम देखते हैं कि-
1. भाववाच्य में सदैव अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।
2. इसमें क्रिया के भावों की प्रमुखता होती है।
3. इसमें प्रयुक्त क्रिया एकवचन, अकर्मक, पुल्लिंग तथा अन्य
पुरुष में होती है।
4. अकर्मक क्रिया का कर्मवाच्य ही भाववाच्य होता है।
5. इन वाक्यों में विवशता या असमर्थता प्रकट करने के लिए
'नहीं' का प्रयोग होता है।
🇮🇳 राजेश राष्ट्रवादी
Thank you sir 🙏
ReplyDeleteआपका भविष्य मंगलमय हो।
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