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सावित्रीबाई फुले / एकादशः पाठः / कक्षा -8 / रूचिरा - भाग-3

         सावित्रीबाई फुले                           एकादशः पाठः  ******************************************* संकेत:-- उपरि.....................


         सावित्रीबाई फुले

                          एकादशः पाठः 

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संकेत:-- उपरि.....................नामधेया।

शब्दार्थाः 👇

कस्याश्चित्           = किसी  (some)

आदाय                = लेकर (taking)

पूलिम्                 = धूल-मिट्टी (dust and earth)

प्रस्तरखण्डान्       = पत्थर के टुकड़ों का (pieces of stone)

क्षिपति                = फेंकता है  (throws)

विचलति            = विचलित होती है (waves budges)

सविनोदम्           = हँसी मजाक के साथ (with fun and                                   frolic)

आलपन्ती            = बात करती हुई (talking)

संलग्ना                = लगे रहना  (busy)

अनुवाद :-- ऊपर बनाए हुए चित्र को देखो। यह चित्र किसी पाठशाता का है। यह सामान्य पाठशाला नहीं है। यह महाराष्ट्र की प्रथम कन्या पाठशाला है। एक शिक्षिका घर से पुस्तकें लेकर चलती हैं। मार्ग में कोई उस पर धूल और कोई छोटे पत्थर (कंकड़) फेंकता है। परन्तु वह अपने दृढ़ निश्चय से विचलित नहीं होती। अपने विद्यालय में लड़कियों से हँसी मजाक से बातें करती हुई वह पढ़ने में लगी रहती है। उसका अपना अध्ययन भी साथ ही चलता है। यह महिला कौन है? क्या तुम सब इस महिला को जानते हो? यह ही महाराष्ट्र की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले है। 

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संकेत:-- जनवरी मासस्य.............कृतवती।

शब्दार्था :👇

अजायत्                =  पैदा हुई  (was born)

अभिहितौ              = कहे गए हैं।  (are called)

देशीया                   = आयु में     ( in age)

परिणीता               =  ब्याही गई (was married)

उत्सम्                    =    प्रोत्साहन, प्रेरणा ( inspiration)

प्राप्तवती                =     मिला   (got)

इतः                        =  यहाँ      ( here)

साग्रहम्                   = निवेदन / आग्रह से ( insistence)

आङ्ग्लभाषायाः       = अंग्रेजी भाषा का (of English)

 प्रबल                      =  अत्यधिक         (excessive)

अनुवाद :--  जनवरी मास के तीसरे दिन सन् 1831 वर्ष से महाराष्ट्र के नायगाँव नामक स्थान पर सावित्री पैदा हुई। उनकी माता लक्ष्मीबाई और पिता खंडोजी कहे गए हैं। नौ वर्ष की आयु में वह ज्योतिबा फूले महोदय के साथ ब्याही गई। वह भी तब तेरह वर्ष के छोटे ही थे। क्योंकि वह स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक थे, इसीलिए सावित्री के मन में स्थित पढ़ने की इच्छा को प्रोत्साहन मिला। पर यहाँ उन्होंने आग्रह के कारण अंग्रेजी भाषा का भी अध्ययन किया

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संकेत:-- 1848 तमे............................ प्रारब्ध:।

शब्दार्था: 👇

कृते                          = के लिए (for the sake of)

आरभत्                   = शुरू किया (opened) 

अस्पृश्यत्वात्            = अछूत होने के कारण 

                                 (being untouchable) 

तिरस्कृतस्य              = अपमानित के (insulted) 

समुदायस्य                = समूह के (community) 

प्रारब्ध:                      = शुरू किया (opened)

अनुवाद:----  सन् 1848 वर्ष में पुणे नगर में सावित्री ने ज्योति महोदय के साथ कन्याओं के लिए प्रदेश का पहला विद्यालय शुरू किया तब यह केवल 17 वर्ष की थी।सन् 1851 वर्ष में होने के कारण तिरस्कृत समुदाय की लड़कियों के लिए अलग से दूसरा विद्यालय उनके द्वारा शुरू किया गया।

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संकेत:-- सामाजिककुरीतीनां...........समर्थित:।

शब्दार्था: 👇

मुखरम्                     = बहुत ज्यादा (excessively)  शिरोमुण्डनस्य           = सिर मुंडवाने के 

                      (removing the hair on the heads)

निराकरणाय              = रोकने के लिए (to stop) 

नापितै:                     = नाइयों से  (barbers)

रूढ़ी                         = रिवाज में (tradition) 

अत्यजन्                   = छोड़ दिया (left)

निकषा                     = पास         (near)

शीर्णवस्त्रावृताः          =   फटे-पुराने वस्त्र पहने हुए 

                                   (wearing torn clothes)

पातुम्                        = पीने के लिए to drink, 

जलोद्वरणम्               = जल लेने से  (to get water) अवारयन्                   = रोका         (checked) 

सोढुम्                        = सहने        (to bear)

नाशक्नोत्                   = नहीं कर सकी (could not do) 

नीतवती                     =  ले  आयी   (brought)

अनुवाद:--सामाजिक कुरीतियों का सावित्री ने बहुत अधिक विरोध किया। विधवाओं के सिर मुंडवाने के निराकरण के लिए वह सीधे नाइयों से मिली। फलस्वरूप कुछ नाइयों के इस रिवाज में भाग लेना छोड़ दिया। एक बार सावित्री के द्वारा मार्ग में देखा गया कि कुएँ के पास फटे-पुराने वस्त्र पहने निम्न जाति की कहलाने वाली कुछ स्त्रियाँ पीने के लिए जल माँग रही थीं। ऊँचे वर्ग के लोग मजाक उड़ाते हुए कुएँ से जल लेने से रोक रहे थे। सावित्री इस अपमान को नहीं सह सकीं। वह उन स्त्रियों को अपने घर ले आई। और तालाब दिखाकर कहा कि जितना चाहो जल ले लो। यह सार्वजनिक तालाब है। इसका जल लेने में कोई जातिबन्धन नहीं है। उनके द्वारा मनुष्यों की समानता और स्वतंत्रता का सदा व सभी प्रकार से समर्थन किया गया।  

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संकेत:-- 'महिला सेवामण्डल' ............... प्रति जागरण।

शब्दार्था: 👇

अवदानम्                  = योगदान (contribution) उत्पीडितानाम्            = पीडित किए गए का (tormented) दम्पत्यो:                     = दम्पत्ति (पति-पत्नी) का (couple)

अतीव                        = बहुत (very much)

अनुवाद:--- 'महिला सेवामण्डल', 'शिशुहत्या प्रतिबन्धक गृह' इत्यादि संस्थाओं की स्थापना में फुले दम्पत्ति का योगदान महत्त्वपूर्ण है। सत्यशोधकमण्डल की गतिविधियों में भी सावित्री बहुत क्रियाशील थी। इस मण्डल का उद्देश्य था सताए हुए लोगों के समुदायों का अपने अधिकारों के प्रति जागरण ।

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संकेत:-- सावित्री अनेका : ................. निधनं गता ।

शब्दार्था: 👇

सञ्चातितपती          = संचालन किया (conducted) दुर्भिक्षकाले              = अकाल के समय 

                                (at the time of famine)

अश्रान्तम्                  =   बिना थके  (untired)

अविरतम्                  = बिना रुके    (non-stop)

असाध्य                    = लाइलाज  (ncurable )

निधनम्                    = मृत्यु  (death)

अनुवाद:---- सावित्री ने अनेक संस्थाओं का प्रशासन कुशलतापूर्वक किया। अकाल के समय और प्लेग के समय वह पीड़ित लोगों की बिना थके और बिना रुके सेवा करती थी। सहायता सामग्री की व्यवस्था के लिए हमेशा प्रयास करती थी महारोग के फैलने के समय सेवा में लगी हुई यह स्वयं असाध्य रोग से ग्रस्त हो गई और सन् 1897 वर्ष में उनकी मृत्यु हो गई।

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संकेत:---साहित्यरचना...........  अध्येतव्यम् ।

शब्दार्थाः 👇

महीयते              = बढ़-चढ़कर है(eminent )

गहनावबोचाय     = गहराई से समझने के लिए 

                           (understand deeply)

अध्येतव्यम्        = पढ़ना चाहिए (should be read)

अनुवाद :--- साहित्य रचना में भी सावित्री बढ़-चढ़कर (महान्) है। उनके दो काव्य काव्यफुले' और 'सुबोधरत्नाकर' भारतदेश में महिला के उत्थान को गहराई से समझने के लिए सावित्री देवी का जीवनचरित अवश्य पढ़ना चाहिए।

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                            अभ्यासः

1. एकपदेन उत्तरत-

(क) कीदृशीनां कुरीतीनां सावित्री मुखरं विरोधम् अकरोत् ? 

उत्तर:-- सामाजिक कुरीतीनां ।

(ख) के कूपात् जलोद्धरणम् अवारयन्? 

उत्तर:-- उच्चवर्गीया: ।

(ग) का स्वदृढनिश्चयात् न विचलति ? 

उत्तर:-- सावित्री ।

(घ) विधवानां शिरोमुण्डनस्य निराकरणाय सा कैः मिलिता?      

उत्तर:--  नापितै: ।

(ङ) सा कासां कृते प्रदेशस्य प्रथमं विद्यालयम् आरभत ?

 उत्तर:-- कन्यानां ।







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