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आरोह भाग-1, कक्षा-11,पाठ- सबसे खतरनाक , सम्पूर्ण पाठ की सप्रसंग व्याख्या, प्रश्नोत्तर

आरोह पुस्तक,  भाग-1,   कक्षा-11, पाठ- सबसे खतरनाक ,  सम्पूर्ण पाठ की सप्रसंग व्याख्या    प्रश्नोत्तर        पाठ- सबसे खतरनाक         कवि:-- ...

आरोह पुस्तक, 

भाग-1,  

कक्षा-11,

पाठ- सबसे खतरनाक , 

सम्पूर्ण पाठ की सप्रसंग व्याख्या   

प्रश्नोत्तर  





     पाठ- सबसे खतरनाक 

       कवि:-- श्री अवतार सिंह 'पाश'

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                                (1)

संकेत:- मेहनत की लूट......... सबसे खतरनाक नहीं होता।

 प्रसंग:--  प्रस्तुत पंक्तियाँ 'पाश' कवि द्वारा रचित कविता 'सबसे खतरनाक' में से अवतरित हैं। इस कविता में कवि ने आज के निर्दयता के युग में उस खतरनाक स्थिति की ओर संकेत किया है जब प्रतिकूलताओं से जूझने के सभी संकल्प क्षीण होते जा रहे हैं। कोई भी स्थिति इतनी खतरनाक नहीं होती जितनी कि प्रतिकूलता को चुपचाप सहना।

व्याख्या:--  कवि यहाँ उन स्थितियों का वर्णन कर रहा है, जो मानव को दुख तो पहुँचाती हैं पर मानव के लिए उतनी खतरनाक नहीं होती। यदि मेहनत की कमाई को कोई लूट ले तो यह स्थिति इतनी खतरनाक नहीं है क्योंकि मानव फिर से मेहनत कर धन कमा सकता है। पुलिस को मार अर्थात शासन व्यवस्था की अन्यायपूर्ण स्थिति भी इतनी खतरनाक नहीं है। शासन के प्रति गद्दारी का भाव तथा लालच में आकर अधिकाधिक लेने की लालसा भी खतरनाक नहीं होती। बिना किसी दोष के अकारण ही पकड़े जाना मानव को हानि तो पहुँचाता है पर यह स्थिति भी इतनी बुरी नहीं कि जिसे सुधारा न जा सके। मानव का डरकर अपनी ही चुप्पी में जकड़े जाना एक बुरी स्थिति है। परंतु इसे बुरा तो कहा जा सकता है पर खतरनाक नहीं। छल-कपट के दूषित वातावरण में जब मानव की सही आवाज उभर नहीं पाती, बल्कि दबा दी जाती है। यह स्थिति मानव के लिए दुखद होने के कारण बुरी है। किसी जुगनू की लौ में पढ़ना अर्थात् साधनहीनता में गुजारा चलाना निश्चय हो बुरा है। अपने विक दबाकर केवल संतुष्ट होकर वक्त गुजार देने की स्थिति बुरी तो है पर इतनी खतरनाक नहीं। कवि कहना चाहता है कि उपरोक्त स्थितियाँ मानव के दुखद हैं, इसी कारण वे बुरी हैं; परंतु इनमें सुधार संभव है। ये स्थितियाँ मानव और समाज के लिए बुरी हैं, परंतु खतरनाक नहीं है।

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                  (2)

संकेत:-- सबसे खतरनाक..............रूकी होती है।

प्रसंग:-- प्रस्तुत अवतरण पंजाबी कवि पाश द्वारा रचित कविता 'सबसे खतरनाक' में से अवतरित है। कवि ने यहाँ आज के संसार में व्याप्त विद्रूपताओं का चित्रण करते हुए उस खतरनाक स्थिति की ओर संकेत किया है यहाँ मनुष्य के इन स्थितियों से जूझने के संकल्प कमजोर पड़ रहे हैं। मनुष्य उनका आदी होकर अपने सपनों को मार रहा है।

व्याख्या:-- कवि यहाँ वर्णित कर रहा है कि मनुष्य को दुख देनेवाली स्थितियाँ बुरी होती हैं पर खतरनाक नहीं खतरनाक तो वह स्थिति होती है जब मनुष्य 1 का अंतर मृत शांति का आवरण ओढ़ लेता है। समाज की विद्रूपताओं को देख जब मनुष्य के मन में बेचैनी नहीं उठती। यह मूक दर्शक बनकर सब कुछ सहन करता जाता है और उसका हृदय मृत शांति से व्याप्त हो जाता है। जब मनुष्य का अस्तित्व केवल भर और काम तक ही व्याप्त हो जाता है। उसको सीमित दिनचर्या घर से काम पर जाने और काम से घर तक लौटने में बंध जाती है। जब उसे समाज से उसकी विद्रूपताओं से कुछ लेना-देना नहीं होता, वह चुपचाप सब कुछ सहन कर जीवन को जीता जाता है। ऐसी स्थिति सबसे अधिक खतरनाक होती है जब हमारे सभी स्वप्न मर जाते हैं। हमने उत्तम समाज के जो सपने देखे थे जब वे सब इह जाते हैं तब भी हमारा हृदय नहीं डोलता। ऐसी स्थिति खतरनाक हो जाती है। सबसे खतरनाक तो वह स्थिति होती है जब हमारी कलाई पर बंधी पड़ी चलती रहती है पर हमारी नजरों में वह रुकी हुई होती है। हमें घड़ी के चलने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हमारी दिनचर्या तो एक ही समय पर चलती रहती है। हमारे लिए तो समय गतिशील होता हुआ भी रुका हुआ होता है। यह स्थिति सबसे अधिक खतरनाक है।

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                                (3)

संकेत:-- सबसे खतरनाक.............उलटफेर में खो जाती है।

प्रसंग:-- प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि 'पाश' द्वारा रचित कविता 'सबसे खतरनाक' में से अवतरित हैं। कवि ने यहाँ उन स्थितियों को खतरनाक माना है कि व्यक्ति सामाजिक विद्रूपताओं के प्रति विरोध नहीं करता। वह चुपचाप उन्हें सहन करता जाता है। वह इन प्रतिकूल स्थितियों का जाता है तो ऐसी स्थिति खतरनाक हो उठती है।

व्याख्या:-- कवि सामाजिक विद्रूपताओं को चुपचाप सहमी हुई दृष्टि से देखनेवाली आँख को खतरनाक मानता है। कवि कहता है कि खतरनाक है जो समाज में हो रहे प्रतिकूलता के वातावरण और अन्याय को चुपचाप संवेदन शून्य होकर उसी प्रकार देखती रहती है जैसे जमी हुई हो। वह स्थिति खतरनाक है जिसमें व्यक्ति के सपने पर जाते हैं। उसकी दृष्टि दुनिया में मुहब्बत और प्रेम को देखन जिसे चारों और संदेह-ही-संदेह दिखाई देता है। वह आँख जो सब कुछ देख सकती है, परंतु अपने सामने अन्याय और प्रतिकूलता को दे भी अंधी बन जाती है। वह सबसे खतरनाक स्थिति है जब व्यक्ति चुपचाप सब कुछ विरोध किए बिना सहन करता जाता है। वह दैनिक क्रिया-कलापों में संवेदनहीनता के साथ भटकती रहती है, जिसका कोई लक्ष्य नहीं है, जो लक्ष्यहीन होकर केवल अपनी दि पूरा करती रहती है, ऐसी जिंदगी सबसे खतरनाक होती है।

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                   (4)

संकेत:-- सबसे खतरनाक.......गुंडे की तरह अकडता है।

प्रसंग:--प्रस्तुत अवतरण कवि 'पाश' द्वारा रचित कविता 'सबसे खतरनाक' में से अवतरित है। इस कविता में कवि ने समाज में फैले अन्याय और आतंक का विरोध न करनेवाले जीवन को सबसे खतरनाक माना है। कवि की दृष्टि में लोगों का सपनों को मार देना, लक्ष्य से भटक जाना हा सब कुछ चुपचाप सहन करना ही खतरनाक स्थितियाँ हैं।

व्याख्या:--  कवि वर्णित करता है कि चारों ओर फैले आतंक के वातावरण में जब हत्याकांड की घटनाएँ घटती है घर, आँगन उन हत्याकांडों के कार सुनसान हो जाते हैं पर फिर भी जो चाँद, जो आसमान में निकलकर उन वीरान स्थानों पर भी रोशनी बिखेरता है यह सबसे खतरना उससे भी खतरनाक वह स्थिति है जब कुछ लोग उस चाँद की चाँदनी का आनंद लेते हैं। वह उन लोगों की आंखों में मिर्च की तरह लगता अपितु वह तो उन्हें खुशी देता है। यहाँ कवि प्रतीकात्मक शब्दावली के माध्यम से बताता है कि आज जब आतंकी गतिविधियों के क लाखों लोग हत्याकांडों की बलि चढ़ जाते हैं तो अन्य लोग उनके गम में शरीक होने की बजाय अपनी खुशियों में मग्न रहते हैं। जिनके पा सदस्य मृत्यु की गोद में सो जाते हैं, जिनके घर वीरान हो जाते हैं उनके दुखों को बाँटने की अपेक्षा लोग अपनी खुशियों में लोग रहते हैं। ये आतंकी गतिविधियों, ये प्रतिकूल परिस्थितियाँ उन लोगों को कोई दुख नहीं पहुंचा। ऐसी स्थिति खतरनाक है। कवि का मानना है कि गीत खतरनाक है जिसे लोगों तक पहुँचने के लिए मरसिए पढ़ने पड़ते हैं अर्थात जो लोगों की लाशों के करुण सदन से उठता है। इसे भी लोगों के मन में विरोध की अग्नि नहीं सुलगती। यह स्थिति खतरनाक है जिसमें आतंक से पीड़ित लोगों के दरकते पर कर दरका गीत गुंडे की भाँति अकड़ता रहता है। परंतु लोगों का खून नहीं खौलता उनके संकल्प नहीं जाते। इन के गौत को हमारे के लिए नहीं उठते ।

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                                  (5)

संकेत:-- सबसे खतरनाक...........गद्दारी- लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती। 

प्रसंग:--- प्रस्तुत पंक्तियाँ 'सबसे खतरनाक' में से अवतरित हैं। इसके रचयिता कवि 'पाश' हैं। इसमें कवि ने उस खौफ़नाक स्थिति को खतरनाक माना है जिसमें लोगों के प्रतिकूलताओं से जूझने के संकल्प क्षीण होते जा रहे हैं। लोगों के सपने मरते जा रहे हैं और लोग चुपचाप अन्याय को सहन कर रहे हैं।

 व्याख्या:--कवि ने यहाँ उस रात को खतरनाक माना है जो जीवित लोगों की आत्माओं रूपी आसमानों पर पूरे अंधकार के साथ घिर आती हैं। कवि का अभिप्राय है कि आतंकी गतिविधियों के पश्चात् मृत लोगों के परिवारवालों पर बड़ी भारी विपत्ति आ पड़ती है। जीवित परिवारजनों पर दुखों की काली रात आ जाती है। कोई उनके दुख को बांटने वाला नहीं होता। इस दुख की काली वीरान रात में केवल चारों ओर सन्नाटा हो सन्नाटा होता है जिसमें उनके करुण रुदन और सामाजिक विद्रूपताओं की आवाजें ही उठती रहती हैं। कवि का कहना है कि वीरान खतरनाक रात में केवल उल्लू बोलते हैं और गीदड़ों की हुआ हुओं की आवाजें उठती रहती हैं। ये उल्लू और गीदड़ मानो अँधेरे से घिरे दरवाजों और चौखटों पर हमेशा के लिए चिपक जाते हैं। कवि प्रतीकात्मक शब्दावली में कहना चाहता है कि सामाजिक आतंकी क्रियाएँ एवं विद्रूपताएँ जिंदगी में ऐसी दुखों की काली रात दे जाती हैं जिनमें करुण रुदन रूपी उल्लू और गीदड़ चिल्लाते रहते हैं। जीवनभर इन क्रियाओं को याद कर जीवित लोग प्रियजनों की याद में खोए रहते हैं। ये यादें उनके मन रूपी दरवाजों और चौखटों पर चिपक जाती हैं। सबसे खतरनाक वह स्थिति होती है जिसमें आत्मा रूपी सूरज डूब जाता है। आत्मा में कोई आस की किरण नहीं रहती। उसके सभी सवाल बेमानी हो जाते हैं। उस आत्मा में यदि धूप के टुकड़े के समान कोई आशा की किरण फूटती भी है तो वह भी मृतप्राय हो होती है जो अपने ही शरीर रूपी पूर्व दिशा में चुभकर उसे लहूलुहान करती रहती है। कवि का आशय है कि लोगों ने अब अन्याय को सहना ही अपनी नियति मान लिया है। आत्मा मानो मृत के समान तटस्थ है। सामाजिक विद्रूपताओं को देख उसमें कोई गतिशीलता नहीं होती। स्थितियों को बदलने के लिए यदि कोई आस उठती भी है तो वह भी दुख देकर फिर दब जाती है। यहाँ स्थिति खतरनाक है। मेहनत की राशि कोई लूट ले, पुलिस अकारण हो पकड़कर मारे, गद्दारी और लोभ से मानव मुट्ठियाँ भर लें। ये स्थितियाँ इतनी खतरनाक नहीं होतीं जितनी कि सपनों का मर जाना, अन्याय को सहन करना, विद्रूपतओं ,प्रतिकूलताओं को तटस्थ होकर देखते रहना खतरनाक है।

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पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर:--

कविता के साथ:--

प्रश्न 1. कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं ?
उत्तर :--कवि का मानना है कि यदि मेहनत की राशि कोई लूट ले तो व्यक्ति फिर से मेहनत और लगन से धन को प्राप्त कर सकता है। पुलिस की मार किसी व्यक्ति विशेष को ही पीड़ा पहुंचाती है। मनुष्य अच्छे मार्ग अपनाकर उससे बच सकता है। गद्दारों और लो का रास्ता भी मानव सद्वृत्तियों को अपनाकर छोड़ सकता है। वास्तव में इन स्थितियों को बदलने के लिए हमारे पास विकल्प है इसलिए ये स्थितियाँ खतरनाक नहीं हैं। परंतु यदि मानव के सपने हो मिट जाएँ, वह अन्याय को अपनी नियति मान चार मह कर ले, विरोध न करे तो कोई विकल्प नहीं बचता। ऐसी स्थिति खतरनाक होती है।

प्रश्न-2'सबसे खतरनाक' शब्द को बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ ? 
उत्तर:--  'सबसे खतरनाक' शब्द का बार-बार प्रयोग पाठक को आज की सामाजिक स्थितियों पर गंभीरता से विचार करने के लिए विवश करता है। यह शब्द उन सामाजिक विद्रूपताओं और प्रतिकूल परिस्थितियों को ओर ध्यान केंद्रित करवाता है जिनकी ओर से आज के मानव ने आँखे
मूँद ली हैं। अपने सपनों को मारकर उसने स्थितियों को बदलने के संकल्पों को क्षीण कर लिया है। 

प्रश्न 3. कवि ने कविता में कई बातों को 'बुरा है' न कहकर 'बुरा तो है' कहा है 'तो' प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर:--कवि ने 'बुरा है' शब्द का प्रयोग न करके 'बुरा तो है' शब्द का प्रयोग किया है। ऐसा करके कवि ने उन स्थितियों के विषय में है जिन्हें हम बुरा कह सकते हैं। परंतु उनमें सुधार करने के विकल्प हमारे पास है। वास्तव में ये स्थितियाँ उस हद तक बुरी नहीं है जिस हद तक बुरा मनुष्य का अपने जूझने के संकल्पों को ही मिटा देता है। तटस्थ होकर औरों पर होते अन्याय को देखकर भी आवाज नउठाना है। यदि मानव इन स्थितियों को स्वीकार कर लेता है तो प्रतिकूलताएँ बढ़ती जाएँगी और उन्हें सुधारने का कोई विकल्प नहीं होगा।

प्रश्न-4 मुर्दा शांति से भर जाना' 'हमारे सपनों का पर जाना इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगति है और ये क्यों सबसे खतरनाक है?
उत्तर:--  कवि ने मानव मन को मुर्दा शांति से भर जाने और सपनों के मर जाने की स्थितियों को खतरनाक माना है। जब मानव का हृदय दूसरों पर होते अत्याचारों को देखकर विद्रोह नहीं करता, सामाजिक प्रतिकूलताओं को चुपचाप सहन करता है। दूसरों के लिए सुख-दुख से उसके हृदय किसी प्रकार का कोई एहसास, कोई गतिशीलता उत्पन्न नहीं होती। उसका अंतर मृत शांति का आवरण ओढ़ लेता है तो ऐसी स्थिति निश्चित रूप से खतरनाक है क्योंकि वह जीवित होता हुआ भी मृत के समान है। मानव के सपने उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए ही मानव जी-तोड़ मेहनत और लगन से कार्य करता है। जब उसके सपने हो मर जाते हैं तो उसकी इच्च समाप्त होने लगती हैं। वह अपनी स्थिति को स्वीकारकर, सामाजिक अन्याय को झेलता हुआ संतुष्ट रहता है। ऐसी स्थिति हो उठती है इससे न तो व्यक्ति का विकास होता है और न देश का ।

प्रश्न-5 सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है, आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो आपकी निगाहों में रूकी होती है। इन पंक्तियों में भी शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए।

उत्तर:--वास्तव में 'घड़ी' शब्द के दो अर्थ हैं, एक वह घड़ी जो समय सूचक यंत्र है। दूसरा, घड़ी का अर्थ समय है। कवि ने यहाँ किया है कि आज का व्यक्ति एक बँधी-बधाई-सी दिनचर्या जी रहा है। मृत शांति उसके भीतर व्याप्त है। सामाजिकविताओं को देख उसके हृदय में कोई हलचल नहीं होती। घर से काम पर निकलना और काम से घर लौटना, धन कमाना ही उसका एकमात्र लक्ष्य है। उसके सभी स्वप्न मर चुके हैं। उसके हाथ पर बँधी घड़ी समय तो दर्शाती है, वह चलती रहती है परंतु व्यक्ति तो रुक गया है। उसको जिंदगी रुक गई है। यह एक ही धुरी पर चलती रहती है। समय की गतिशीलता भी अब व्यक्ति के लिए महत्वहीन-सी होने लगी है। पर और काम को दिन मैं उन व्यक्ति के पास इतना समय कहाँ कि वह दूसरों का दुख-दर्द बाँट सके। यही स्थिति , यही घडी खतरनाक है।

प्रश्न-6 वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है, जो हर हत्याकांड के बाद आपकी आँखों में मिर्चों की तरह नहीं गडता है ?

उत्तरः-- कवि ने यहाँ प्रतीकात्मक शब्दावली का प्रयोग किया है। चाँद यहाँ खुशी का प्रतीक है। कवि का आशय है कि हत्याकांड के पश्चात मृत सदस्यों के परिवारों में करुण रुदन छाया होता है। चाँद को अपनी चाँदनी बिखेरने की अपेक्षा उनके दुखों में शरीक होना चाहिए। लोग भी चाँद को देख खुशियाँ मनाते हैं। वह चाँद दो मिचों की तरह उनकी आँखों में चुभना चाहिए। कवि यहाँ अपनी खुशियों में मग्न होकर दूसरों के दुख-दर्द को भूलने वाले लोगों पर कटाक्ष कर रहा है जब हत्याकांड के बाद लोग करुण रुदन कर रहे हों तो उनके दुख-दर्द को बाँटने की बजाय अन्य लोग अपनी-अपनी खुशी का जश्न मना रहे हो तो ऐसी खुशी निश्चय ही खतरनाक है।

कविता के आस-पास 

प्रश्न-1 मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती' में कविता का आरंभ करके फिर इसी से अन्त क्यों किया होगा?

कवि पाठक का ध्यान समाज में उन खतरनाक स्थितियों की और दिलाना चाहता है जिसे मानव ने स्वयं ही खतरनाक होने के लिए आधार प्रदान किया है। मानव के जूझने विरोध करने के क्षीण होते संकल्प मिटते सपने बंधी बंधाई दिन हृदय में व्याप्त मृत शांति ने ही समस्याओं को खतरनाक रूप दे दिया है। कवि ने कविता का आरंभ और कविता का अंत मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती' पंक्ति से करके पाठक की चेतना को जागृत किया है कि ऐसी कौन सी स्थितियाँ हैं जो उसके प्रयत्नों से सुधर सकती हैं। पर ऐसी खतरनाक स्थितियाँ भी है जिसके लिए गंभीरता से निर्णय लेने होंगे।

प्रश्न-2 कवि द्वारा उल्लिखित  बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं ?

उत्तर:- कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त मानव की मानव के प्रति घटते प्रेम और भाईचारे की भावना भी खतरनाक है। अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए मानव दूसरों का अहित करने से भी नहीं चूकता। नैतिकता के नियम समाज में अपना अस्तित्व खोते जा है। दया, क्षमा ,त्याग, परोपकार की भावनाएं समाज से लुप्त होती जा रही है। मानव में धन की प्रवृत्ति और अपनी संस्कृति के प्रति उपेक्षा की भावनाएँ खतरनाक है।



 



 


2 comments

  1. 🙏🙏
    धन्यवाद सर आपने हमारी सुविधा के लिए अपना अतिरिक्त समय निकालकर कव्याखंड के पाठो की व्याख्या की।
    Thankyou sir

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    Replies
    1. आप और आप जैसे हिन्दी- भाषा के अनगिनत प्रशंसकों के लिए, मेरा यह प्रयास जारी रहेगा।

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