दशमः पाठः विश्वबंधुत्वम् ( विश्व के प्रति भाईचारा) शब्दार्था: उत्सवे ...
दशमः पाठः
विश्वबंधुत्वम्
( विश्व के प्रति भाईचारा)
शब्दार्था:
उत्सवे = हर्ष के अवसर पर
व्यसने = मुसीबत में
दुर्भिक्षे = अकाल में
राष्ट्रविप्लवे = राष्ट्रीय संकट में
दैनन्दिन- व्यवहारे = प्रतिदिन के व्यवहार में
सहायताम् = मदद
विश्वे = दुनिया में
एकादृश : = ऐसा
भावः = भावना
विश्वबंधुत्वम् = विश्व स्तर का भाईचारा
सम्भवति = हो सकता है
परन्तु = लेकिन
अधुना = अब
निखिले = सारे में
कलहस्य = झगडे का
अशांते = अशांति का
वातावरण = माहौल
मानवाः = मनुष्य
परस्परम् = आपस में
विश्वसन्ति = विश्वास
परस्य = दूसरे का
कष्टम् = तकलीफ
स्वकीयम् = अपना
समर्था: = शक्तिशाली
असमर्थान् = कमजोरों को
उपेक्षाभावम् = लापरवाही के भाव को
प्रदर्शयन्ति = दिखाते हैं
प्रभुत्वम् = मालिकपना
स्थापयन्ति = स्थापित करते हैं
विद्वेषस्य = दुश्मनों का
हिंसाया: = हिंसा का
विकासः = उन्नति
अवरूद्ध: = रूका हुआ
निर्मलेन = साफ से
ह्रदयेन = दिल से
व्यवहारम् = व्यवहार को
स्वस्था = स्वस्थ
स्पर्धा = प्रतियोगिता
ज्ञानविज्ञानयोः = ज्ञान और विज्ञान के
मैत्रीभावनया = मित्रता की भावना से
समृद्धिम् = सम्पन्नता को
प्राप्तुम् = प्राप्त करने में
प्रसरति = बह रहा है
समत्वेन = समानता की भावना से
वैरभावम् = शत्रुता भाव को
अपहाय = छोडकर
कल्याणाय = कल्याण के लिए
निजः = अपना
परः = पराया
वा = या
गणना = गिनती
लघुचेतसाम् = छोटे दिल वालों की
उदारचरितानाम् = बडे दिलवालों के
वसुधा = धरती
कुटुंबकम् = परिवार
संकेतः- उत्सवे.............अवरुद्ध भवति।
हिन्दी-अनुवाद:--
प्रसन्नता में, मुसीबत में, अकाल में, राष्ट्रीय विपत्ति में और प्रतिदिन के व्यवहार में जो सहायता करता है, वह भाई होता है। यदि संसार में सब जगह ऐसी भावना हो जाए तब विश्वबन्धुता हो सकती है।
परन्तु अब सारे संसार में झगड़े और अशान्ति का माहौल है। मनुष्य एक-दूसरे पर विश्वास नहीं कर रहे। वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं गिनते। साथ ही शक्तिशाली देश कमजोर देशों की ओर अनादर की भावना का प्रदर्शन करते हैं और उनके ऊपर अपनी घाँस जमाते हैं। संसार में सब और दर-भाव, दुश्मनी और हिंसा की भावना दिखाई देती हैं। देशों का विकास भी रुक जाता है।
संकेत:- इयम्.................. भविष्यन्ति।
हिन्दी-अनुवाद:--यह एक बड़ी आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ साफ दिल से भाईचारे के बीच में एक स्वस्थ प्रतियोगिता होगी। सभी देश ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मित्रता की भावना का व्यवहार करे। संसार के लोगों में यह भावना आवश्यक है। तब विकसित और अविकसित देशों से और सहयोग से संपन्नता को प्राप्त करने में समर्थ होंगे।
संकेतः- सूर्यस्य.................. स्थापनीयम् ।
हिन्दी-अनुवाद:-- सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश सब जगह समान रूप से फैलता है। प्रकृति से समानता से व्यवहार करती है, इसलिए हम सब के द्वारा आपस में शत्रुता की भावना को छोड़ कर विश्वस्तर पर भाई चारे की भावना स्थापित की जानी चाहिए।
अतः विश्वस्य कल्याणाय एतादृशी भावना भवेत्-
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।।
हिन्दी अनुवाद:--
इसलिए विश्व के कल्याण के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-
यह अपना है या पराया है ऐसी गिनती छोटे दिलवालों की होती है। जिनका आचरण उदारता वाला होता है उनके लिए तो यह पृथ्वी ही परिवार है।
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