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रुचिरा भाग -2, कक्षा-7, पाठ: अमृतं संस्कृतम्,

रुचिरा भाग -2,  कक्षा-7,  पाठ: अमृतं संस्कृतम्,                 अमृतं संस्कृतम्             (संस्कृत अमृत है) विश्वस्य  = संसार का भाषासु  ...


रुचिरा भाग -2, 

कक्षा-7, 

पाठ: अमृतं संस्कृतम्,       

         अमृतं संस्कृतम्

           (संस्कृत अमृत है)

विश्वस्य  = संसार का

भाषासु  = भाषाओं में

प्राचीनतमा =सबसे पुरानी 

इयम् = यह (स्त्री.)

मता = मानी गयी

अस्याम्  = इसमें

ज्ञान- विज्ञानियों= ज्ञान और विज्ञान का

प्रतिष्ठे द्वे = दो दृड आधार 

संस्कृति:  = संस्कृति 

विचार्यः = सोच  समझकर

सर्वोत्तमा = सबसे उत्तम 

वाङ्मयम् = साहित्य 

वेदैः = वेदों के द्वारा

पुराणैः = पुराणों के द्वारा

नीतिशास्त्रः = नीति के ग्रन्थों के द्वारा

चिकित्साशास्त्रै: = चिकित्सा ग्रन्थों के द्वारा

समृद्धम्           =   संपन्न 

विश्वकवीनाम्    = विश्व स्तर के कवियों का

काव्यसौन्दर्यम्    = साहित्य की सुन्दरता

अनुपमम्            = उपमा रहित 

अर्थशास्त्रम्          = अर्थशास्त्र 

जगति          =     संसार में

प्रसिद्धम्     =  विख्यात 

गणितशास्त्रे = गणितशास्त्र में

शून्यस्य     =  शून्य  का 

प्रतिपादनम्   =   प्रमाणित करना

सर्वप्रथम्      =   सबसे पहले

योगदानम्      = योगदान 

विश्वप्रसिद्धम् = विश्व प्रसिद्ध 

अन्यानि =           दूसरे

खगोलविज्ञानम्  = अंतरिक्ष विज्ञान 

वास्तुशास्त्रम्      =   भवन विज्ञान 

रसायनशास्त्रम्    =  रसायन शास्त्र 

ज्योतिषशास्त्रम्     =  ज्योतिष विज्ञान 

विमानशास्त्रम्       =   विमान विज्ञान 

विद्यमानाः           = मौजूद 

सूक्तयः               = सुभाषित 

अभ्युदयाय          = सब प्रकार की उन्नति के लिए 

प्रेरयन्ति             = प्रेरणा देती है।

जयते                 = जीतता है।

विद्यया                = विद्या के द्वारा

अमृतम्                = अमृत की

अश्नुते                  = पीता है खाता है

केचन                  = कुछ 

केवलम्               =  सिर्फ 

साहित्यम्             = साहित्य 

धारणा                 = विचार 

समीचीना              = ठीक 

ग्रन्येषु                    = ग्रन्थों में

मानवजीवनाय         =   मनुष्य -जीवन के लिए 

विविधाः                  = अनेक प्रकार के

विषयाः                  = विषय 

समाविष्टाः              = विषय 

महापुरुषाणाम्        = महापुरुषों के विचार 

मतिः                      = विचार 

उत्तमजनानाम्         = उत्तम लोगों का

धृति:                    = धीरज 

सामान्यजनानाम्   = आम लोगों का

जीवनपद्धतिः        = जीने का ढंग

वर्णिताः               = वर्णन की गयी

पठनीयम्             = पढने योग्य 

समाजस्य            = समाज का

परिष्कारः            = बेहतरी

सरसम्               = रसपूर्ण 

सरलम्                = आसान 

वचः                    = वचन 

ज्ञानविज्ञान-पोषकम् = ज्ञान विज्ञान को बढाने वाला

                  पाठ का अनुवाद 

विश्वस्य उपलब्धासु भाषासु संस्कृतभाषा प्राचीतमा भाषास्ति । भाषेयं अनेकासा भाषाणां जननी मता । प्राचीनयोः ज्ञानविज्ञानयोः निधि: अस्यां सुरक्षितः। संस्कृतस्य महत्त्वविषये केनापि कवितम्-"भारत प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा ।'

हिन्दी अनुवाद- 

विश्व की उपलब्ध भाषाओं में संस्कृत भाषा सबसे प्राचीन है। यह भाषा अनेक भाषाओं की जननी मानी जाती है। प्राचीन ज्ञान-विज्ञान का खजाना इसमें सुरक्षित है। संस्कृत के महत्त्व के विषय में किसी ने कहा है-भारत की दो ही प्रतिष्ठाएँ हैं-संस्कृत और संस्कृति ।

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इयं भाषा अतीव वैज्ञानिकी केचन कथयन्ति यत् संस्कृतमेव सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा अस्याः वाङ्मयं वेदः, पुराणै, नीतिशास्त्रः चिकित्साशास्त्रादिभिश्व समृद्धमस्ति । कालिदासादीनां विश्वकवीनां काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम् । कौटिल्यरचितम् अर्थशास्त्रं जगति प्रसिद्धमस्ति । गणितशास्त्रे शून्यस्य प्रतिपादनं सर्वप्रथमम् आर्यभट्टः अकरोत् । चिकित्साशास्त्रे चरकसुश्रुतयोः योगदानं विश्वप्रसिद्धम् । संस्कृते यानि अन्यानि शास्त्राणि विद्यन्ते तेषु वास्तुशास्त्रं, रसायनशास्त्रं, खगोलविज्ञानं ज्योतिषशास्त्रं, विमानशास्त्र इत्यादी उल्लेखनीयानि ।

हिन्दी अनुवाद - 

यह भाषा बहुत ही वैज्ञानिक है। कुछ कहते हैं कि संस्कृत ही कम्प्यूटर के लिए सबसे उत्तम भाषा है। इसका साहित्य वेदों, पुराणों, नीतिशास्त्रों और चिकित्साशास्त्रों आदि के द्वारा सम्पन्न है। कालिदास आदि विश्वकवियों के काव्य की सुन्दरता अनुपम है। कीटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र संसार में प्रसिद्ध है। गणितशास्त्र में शून्य का प्रतिपादन सबसे पहले आर्यभट्ट ने किया। चिकित्साशास्त्र में चरक और सुश्रुत का योगदान संसार में प्रसिद्ध है। संस्कृत में जो अन्य शास्त्र हैं उनमें वास्तुशास्त्र, रसायनशास्त्र, खगोल विज्ञान, ज्योतिषशास्त्र और विमानशास्त्र आदि उल्लेखनीय है।

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संस्कृते विद्यमानाः सूक्तयः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति यथा 

सत्यमेव जयते, 

वसुधैव कुटुम्बकम् विद्ययाऽमृतमश्नुते, 

योगः कर्मसु कौशलम् 

इत्यादयः । 

सर्वभूतेषु आत्मवत् व्यवहारं कर्तुं संस्कृतभाषा सम्यक् निशपति ।

हिन्दी अनुवाद-

संस्कृत में विद्यमान सूक्तियाँ सब प्रकार से उन्नति के लिए प्रेरित करती हैं, जैसे- 

सत्य की विजय होती है, 

सारी पृथ्वी परिवार के समान है, 

विद्या से मनुष्य अमृत पीता है, 

कर्म में कुशलता ही योग है 

इत्यादि। सबके साथ समान व्यवहार करना संस्कृत भाषा सबको यही शिक्षा देता है।

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केचन कथयन्ति यत् संस्कृतभाषायां केवलं धार्मिकसाहित्यम् वर्तते एषा धारणा समीचीना नास्ति। संस्कृतग्रन्येषु मानवजीवनाय विविधाः विषयाः सनाविष्टाः सन्ति । महापुरुषाणां मतिः, उत्तमजनानां धृतिः, सामान्यजनानां जीवनपद्धतिः च वर्णिताः सन्ति। अतः अस्माभिः संस्कृतम् अवश्वमेव पठनीयम् । तेन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कारः भवेत्। उक्तञ्च-

अमृतं संस्कृतं मित्र ! 

सरसं सरलं वचः ।

भाषा महनीयं यद्

ज्ञानविज्ञानपोषकम् ।

हिन्दी अनुवाद- 

कुछ लोग कहते हैं कि संस्कृत भाषा में केवल धार्मिक साहित्य है यह धारणा ठीक नहीं है। संस्कृत के ग्रंथों में मनुष्य के जीवन के अनेक प्रकार के विषय भरे पड़े हैं। महापुरुषों की मति, उत्तम लोगों का धैर्य और सामान्य लोगों की जीवनशैली (इसमें) वर्णित हैं। इसलिए हमारे द्वारा संस्कृत अवश्य पढ़ी जानी चाहिए। इससे मनुष्य का और समाज का सुधार होगा। कहा भी गया है- मित्र! संस्कृत के वचन रसपूर्ण और सरल हैं। यह भाषाओं में महान है और ज्ञान तथा विज्ञान की पोषक है।


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