रूचिरा भाग-3, कक्षा -8, पाठः प्रहेलिका: प्रहेलिका: (पहेलियाँ) पाठ का सार ( ...
रूचिरा भाग-3,
कक्षा -8,
पाठः प्रहेलिका:
प्रहेलिका:
(पहेलियाँ)
पाठ का सार
(प्रस्तुत पाठ में कुछ पहेलियाँ दी गई हैं, जिसमें पहेलियाँ बूझने के कुछ रोचक उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। इन पहेलियों के माध्यम से बच्चों को आनंद प्राप्ति के साथ-साथ उनकी समझ-बूझ की मानसिक व बौद्धिक प्रक्रिया तीव्र होती है।)
पाठ का अनुवाद
1. कस्तूरी जायते कस्मात् ?
को हन्ति करिणां कुलम् ?
किं कुर्यात् कातरो युद्धे ?
मृगात् सिंहः पलायते ॥1॥
शब्दार्था:-
जायते = उत्पन्न होती है (is born of)
हन्ति = मारता (kills)
करिणाम् = हाथियों के (of elephants)
कुलम् = झुण्ड को (herd)
कातरः = कायर (coward)
पलायते = भाग जाता है (flees, runs away)
अनुवाद :--
कस्तूरी कहाँ से उत्पन्न होती है? हिरण से।
हाथियों के झुण्ड को कौन मारता है? शेर ।
कायर युद्ध के समय क्या करता है? भाग जाता है।
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2. सीमन्तिनीषु का शान्ता ?
राजा कोऽभूत् गुणोत्तमः ?
विद्वद्भिः का सदा वन्द्या ?
अत्रैवोक्तं न बुध्यते ॥2॥
शब्दार्थाः -
सीमन्तिनीषु = नारियों में (among women)
शान्ता = शान्त स्त्री(a mild naturedwoman)
कोऽभूत् = कौन हुआ (who was)
बन्धा = बन्दनीय (honourable,respectable)
अत्रैवोक्तम् = यहाँ ही कहा ( said here)
बुध्यते = जानते हैं ( is known.)
अनुवाद :-
कौन शान्त है? जो नारियों में शान्त हो।
कौन उत्तम गुण वाला हुआ? उत्तम गुण वाला राजा कौन हमेशा वन्दनीय है?
जो विद्वानों द्वारा वन्दनीय हो । यहाँ ही उत्तर दिया गया है जो समझ में नहीं आता है।
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3. कं सज्जघान कृष्णः ?
का शीतलवाहिनी गङ्गा?
के दारपोषणरताः ?
कं बलवन्तं न बाधते शीतम् ॥3॥
शब्दार्थाः -
सञ्जघान = मारा (killed)
कंसञ्जघान = कंस को मारा (killed kansa)
शीतलवाहिनी = ठंडी धारा वाली (of cold stream)
काशी तलवाहिनी = काशी की भूमि पर बहने वाली (flowing in kashi)
दारपोषणरताः = पत्नी के पोषण में लगा हुआ (busy in welfare of wife )
केदार पोषणरताः = खेत के कार्य में लगा हुआ ( busy in work of farming)
कं बल वन्तम् = कंबल वाला (one who has a blanket.)
अनुवादः-
कृष्ण ने किसको मारा? कंस को मारा ।
कौन सी गङ्गा ठंडी धारा वाली है? काशी की भूमि पर बहने वाली गङ्गा ।
कौन पत्नी (परिवार) के पोषण में लगे हुए हैं? खेत के कार्य में लगे हुए व्यक्ति पत्नी (परिवार) के पोषण में लगे हुए हैं।
किस बलवान को ठंड नहीं सताती ? कंबल युक्त बलवान को ठंड नहीं सताती।
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4. वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः
त्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः ।
त्वग्वस्त्रधारी न च सिद्धयोगी
जलं च विभ्रन्न घटो न मेघः ॥4॥
शब्दार्था :-
वृक्षाग्र = वृक्ष के आगे के भाग में (on the front part of tree)
त्रिनेत्रधारी = तीन आँखों को धारण करने वाला ( tri-eyed (having three eyes)
शूलपाणिः = शिव, हाथ में त्रिशूल लेने वाला ( having a trident in hand (trident wielder)
त्वक्वस्त्र = छाल के वस्त्र ( bark garments)
विभ्रन् = धारण करता हुआ ( wearing (clad in).
अनुवाद:-
पेड़ के अग्र भाग पर रहता है पर पक्षीराज गरुड़ नहीं है।
तीन आँखों वाला है पर शिव नहीं,
छाल के वस्त्र पहनता है पर संयासी नहीं,
जल (धारण) युक्त है पर घड़ा नहीं है, और बादल भी नहीं है। अर्थात् नारियल ।
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5. भोजनान्ते च किं पेयम्?
जयन्तः कस्य वै सुतः ? ।
कथं विष्णुपदं प्रोक्तम् ?
तक्रं शक्रस्य दुर्लभम् ॥5॥
शब्दार्थाः -
भोजनान्ते = भोजन के बाद(after the meal)
पेयम् = पीने योग्य [potable (worthy of drinking)]
सुतः = बेटा ( son)
विष्णुपदम् = स्वर्ग, मोक्ष (paradise)
तक्रम् = छाछ ( buttermilk, whey)
प्रोक्तम् = कहा गया (said)
अनुवाद :-
भोजन के बाद क्या पीना चाहिए? छाछ ।
जयन्त किसका पुत्र था? शुक्र (इन्द्र) का।
और मोक्षपद को कैसा कहा गया?
दुर्लभ (कठिनता से प्राप्त होने वाला)
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