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भक्तराज प्रह्लाद की कहानी / शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कहानियाँ

                  भक्तराज प्रह्लाद की कहानी  • शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कहानियाँ क्या आप जानते हैं कि होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?...

 

               भक्तराज प्रह्लाद की कहानी 


• शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कहानियाँ

क्या आप जानते हैं कि होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? नहीं, तो आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि होली क्यों मनायी जाती है ? प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा हुआ।

उसकी पत्नी का नाम कयाधु था। उसके चार पुत्र थे। जिनके नाम प्रह्लाद, अनुहलाद,सहल्लाद और हल्लाद थे। हिरण्यकश्यप के सबसे बडे पुत्र का नाम प्रह्लाद था , जो भगवान श्री विष्णु जी का परम भक्त था । वहीं हिरण्यकश्यप, भगवान विष्णु जी को अपना घोर शत्रु मानता था। 

पिता हिरण्यकश्यप के लाख मना करने के उपरांत भी प्रह्लाद विष्णु जी की भक्ति करते रहे। इससे क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने कई बार अपने पुत्र प्रह्लाद को जान से  मारने की भरपूर कोशिश की।

 किन्तु भगवान विष्णु जी की कृपा से उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। हिरण्यकश्यप की  बहन *होलिका* को वरदान मिला था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती। उसने अपने भाई से कहा कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि की चिता पर बैठेगी और उसके हृदय के कांटे को सदैव के लिए निकाल देगी। 



पहले से ही निर्धारित समय पर वह प्रह्लाद को लेकर चिता पर बैठ गयी। पर भगवान विष्णु की ऐसी माया हुई कि होलिका पूरी तरह जल गई, जबकि प्रह्लाद को हल्की सी भी आंच  नहीं आई। 

इस प्रकार विष्णु भगवान जी ने अपने  भक्तराज प्रह्लाद की रक्षा की एवं होलिका का दहन हो गया। 

तभी से हिन्दू समाज  प्रतिवर्ष  होलिका का दहन करता आ रहा है और रंगो का पवित्र त्यौहार *'होली'* मनाता आ रहा है।

तो अब आप सब भी मेरे साथ एक बार ऊँचे स्वर में बोलिए।

'होली है गुलाल की, जय कन्हैया लाल की।'

'हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की।'

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*स्वर- राजेश राष्ट्रवादी*

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