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कक्षा-9, दो बैलों की कथा , पाठ का सारांश, प्रश्नोत्तर

                  पाठ-1         'दो बैलों की कथा'  लेखक:- मुंशी प्रेमचंद                     कहानी का सारांश   'दो बैलों की कथा&...

 



               




पाठ-1 

       'दो बैलों की कथा' 

लेखक:- मुंशी प्रेमचंद 

                  कहानी का सारांश 

 'दो बैलों की कथा' मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी है। इसके प्रमुख पात्र दो बैल हैं। हीरा और मोती नाम के ये बैल सीधे-सादे भारतीय लोगों के प्रतीक है। ये शक्तिशाली, कमाऊ और सीधे-सादे होते हुए भी मनमाने अत्याचार सहते हैं। कहानीकार इनके माध्यम से भारतीय लोगों पर अंग्रेजों की परतंत्रता दिखाना चाहता है।

                                      (1)

बैल-एक सीधा जानवरः--  जानवरों में गधा सबसे बुद्धिहीन माना जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है-उसका सौधापन और सहनशीलता। वह सुख-दुख, हानि-लाभ सभी में एक जैसा रहता है। इसी सीधेपन और सहनशीलता के कारण ही भारतीयों को भी अफ्रीका और अमरीका में अपमान सहना पड़ता है। गधे से कुछ ही कम सीधा एक और प्राणी है-बैल। यह कभी-कभी अड़ भी जाता है, इसलिए इसका स्थान गधे से कुछ नीचा है।


हीरा और मोती सच्चे मित्र:-  'झूरी काछी' के पास दो बैल थे हीरा और मोती। दोनों पछाई जाति के सुंदर, सुडौल और चौकस बैल थे। लंबे समय से साथ-साथ रहते हुए उनमें गहरा प्रेम हो गया था। वे साथ-साथ खाते खेलते और धौल धप्पा  करते थे। वे एक-दूसरे को चाट-सूंघकर प्रेम प्रकट करते थे तथा आँखों से ही एक-दूसरे की बात समझ लेते थे।


हीरा-मोती झूरी की ससुराल में:-  संयोग से झूरी ने एक बार दोनों बैलों को अपनी ससुराल भेज दिया। बेचारे बैल समझे कि मालिक ने हमें बेच दिया है। अतः वे अड़ गए। झूरी का साला 'गया' उन्हें आगे धकेलता तो वे पीछे जोर लगाते। मुश्किल से वे साँझ को नए स्थान पर पहुँचे। वहाँ भी उनका मन न लगा। उन्होंने चारे में मुँह न डाला। नया घर उन्हें बेगाना-सा लगा।

                                      (2)

हीरा-मोती दोबारा झूरी की ससुराल में:--  दूसरे दिन झूरी का साला फिर से होरा मोती को ले गया। इस बार उसने दोनों को बहुत मोटी रस्सियों से बाँधा और उनके सामने सूखा चारा डाल दिया। हीरा- मोती का ऐसा अपमान पहले कभी नहीं हुआ था। अगले दिन उन्होंने हल में जुतने से इनकार कर दिया। झूरी के साले ने खीझकर उनकी नाक पर खूब डंडे मारे परंतु दोनों टस से मस न हुए। उलटे हल लेकर भाग गए। रस्सी हल, जुआ, जोत सब टूट-टाटकर बराबर हो गया। परंतु गले में लंबी-लंबी रस्सियों थीं। इसलिए पकड़े गए।


बैल फिर से भागे:-- अगले दिन उन्हें फिर से सूखा चारा मिला। लेकिन शाम के समय भैरो की नन्हीं लड़की दो रोटियाँ लेकर आई। रोटियाँ खाकर हीरा मोती की आत्मा प्रसन्न हो गई। उन्हें पता चला कि नन्हीं लड़की की माँ मर चुकी है, इसलिए सौतेली माँ उसे बहुत परेशान करती है। मोती का दिल किया कि वह भैरो को या उसकी नई पत्नी को उठाकर फेंक दें। परंतु लड़की का स्नेह याद करके चुप रह जाते।

अगली रात उन्होंने रस्सी तुड़ाकर भागने की योजना बनाई ये रस्सी को कमजोर करने के लिए चबाने लगे। परंतु तभी नन्हीं लड़की ने आकर दोनों की रस्सियों खोल दीं। लेकिन बैल लड़की के स्नेह के कारण न भागे। लड़की ने शोर मचाया-फूफा वाले बैल भागे जा रहे हैं। दादा, भागो ।

हीरा-मोती भाग पड़े 'गया' ने उनका पीछा किया। गाँव के और लोग भी पीछे हो लिए। दोनों रास्ता भटक गए। नए-नए गाँव पार करते हुए वे एक खेत के किनारे पहुँच गए। 



मटर का खेत था। दोनों ने खूब मटर खाए और मस्ती में आकर उछलने-कूदने लगे।

साँड से लड़ाई:-- अचानक उनके सामने बहुत बड़ा साँड आ गया। दोनों डर गए। मुकाबला कैसे करें ? हीरा ने मोती को सलाह दी कि दोनों उस पर मिलकर आक्रमण करें। उन्होंने यही किया। साँड एक पर सींग चलाता तो दूसरा उसक पेट में अपने सींग घुसेड़ देता। साँड को दो-दो शत्रुओं से लड़ने की आदत नहीं थी। इसलिए वह बेदम होकर गिर पड़ा। दोनों ने उस पर दया की और छोड़ दिया।

हीरा मोती पकड़े गए:-- विजय के नशे में दोनों बातें करने लगे। सामने मटर का खेत था। मोती उसमें घुस गया। अभी उसने मटर खाने शुरू किए ही थे कि दो आदमी लाठियाँ लेकर आ गए। हीरा तो भाग गया. परंतु मोती कीचड़ में फँस गया। पकड़ा गया। हीरा ने मोती को फँसा देखा तो वापस लौट आया। रखवालों ने दोनों को पकड़ लिया और काँजीहोस में बंद कर दिया।

                                       (3)

हीरा-मोती काँजीहौस में:--  काँजीहौस में उन्हें दिन-भर खाने को कुछ न मिला। वहाँ पहले से कई भैंसें, बकरियाँ, घोड तथा गधे थे। सभी के सभी भूखे-प्यासे मुरदों की तरह पड़े थे। भूख के मारे हीरा-मोती ने दीवार की मिट्टी चाटनी शुरू की।

रात के समय हीरा के मन में विद्रोह की ज्वाला उठी। उसने बाड़े की कच्ची दीवार पर अपने नुकीले सींगों से वार | किया। हर वार में कुछ मिट्टी गिर जाती । इतने में चौकीदार लालटेन लेकर वहाँ पहुँचा। उसने हीरा का उजडुपन देखकर उसे कई डंडे मारे और उसे मोटी रस्सी से बाँध दिया। मोती ने उसे चिढ़ाया। हीरा ने जवाब दिया-बँध गए तो क्या हुआ! अगर दीवार टूट जाती तो कई जानें आज़ाद हो जातीं। अब मोती को भी जोश आ गया। उसने बड़े जोश से दीवार में सींग मारा। दो घंटे जोर-आजमाइश करने के बाद उसने लगभग आधी दीवार गिरा दी। |

अब जानवरों की जान में जान आई। सबसे पहले घोड़ियाँ भाग निकलीं। फिर बकरियाँ और भैंसें भागीं। गधे वहीं खडे रहे। बोले-भागने का क्या फायदा। फिर पकड़े जाएँगे। मोती ने उन्हें सींग मार-मारकर भगाया। लेकिन हीरा रस्सी से बँधा था। कैसे भागता। हीरा ने मोती को कहा कि वह भाग जाए वरना उसकी खूब पिटाई होगी। मोती बोला- मैं विपत्ति में तुम्हें । कैसे अलग कर सकता हूँ। वह भी वहीं सो गया। सुबह होते ही काँजीहौस के कर्मचारियों में खलबली मची। उन्होंने मोती की खूब मरम्मत की और उसे मोटी रस्सियों में बाँध दिया।

                                    (4)

हीरा-मोती कसाई के हाथ में:--  हीरा-मोती एक सप्ताह तक वहीं बँधे रहे। उन्हें खाने को कुछ न मिला। बस दिन में एक बार पानी मिलता था। दोनों की उठरियाँ निकल आईं। एक दिन उनकी नीलामी होने लगी। कोई भी खरीददार उन्हें न खरीदता। अंत में एक कसाई ने उन्हें खरीद लिया। वह जिस तरह कूल्हे में उँगली गोदकर देख रहा था, उससे हीरा-मोती काँप गए।

नीलाम होकर दोनों दढ़ियल कसाई के साथ चले। वे अपने भाग्य को कोसने लगे। कसाई उन्हें भगाए जाता था। रास्ते में उन्हें गाय-बैलों का रेवड़ नजर आया। वे सभी प्रसन्न होकर उछल कूद कर रहे थे। हीरा मोती सोचने लगे-ये कितने स्वार्थी है कि इन्हें हमारी विपत्ति की कुछ भी चिंता नहीं है।

झूरी के द्वार पर सहसा हीरा-मोती को लगा कि वे रास्ते उनके जाने-पहचाने हैं। अब उनके दुर्बल शरीर में जान आने लगी। जल्दी ही झूरी का घर नजदीक आ गया। वे तेजी से भागने लगे और थान पर खड़े हो गए।

झूरी ने उन्हें देखा तो दौड़ा और उन्हें गले लगाने लगा। बैल भी झूरी का हाथ चाटने लगे। दढ़ियल कसाई ने बैल की रस्सियाँ पकड़ ली। झूरी ने कहा-ये बैल मेरे हैं। कसाई बोला- मैं इन्हें नीलामी से लाया हूँ। वह बैलों को जबरदस्ती ले जाने लगा। मोती ने उस पर सींग चलाया। दढ़ियल भागा। मोती ने उसे और भगाया तथा गाँव से दूर कर दिया। झूरी ने निहाल होकर नाँदों में खली भूसा, चोकर और दाना भर दिया। दोनों मित्र खाने लगे। गाँव में उत्साह छा गया। लकिन ने आकर दोनों के माथे चूम लिए।

         पाठ्य पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1. कांजीहास में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी ? 

उत्तर- कांजीहौस एक प्रकार से पशुओं की जेल थी। उसमें ऐसे आवारा पशु कैद होते थे जो दूसरों के खेतों में फसलें नष्ट करते थे। अतः कांजीहौस के मालिक का यह दायित्व होता था कि वह उन्हें जेल में सुरक्षित रखे तथा भागने न दें। इस कारण हर रोज उनकी हाजिरी लेनी पड़ती होगी। 

प्रश्न 2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?  

उत्तर- छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। वह माँ के बिछुड़ने का दर्द जानती थी इसलिए जब उसने हीरा मोती की व्यथा देखी तो उसके मन में उनके प्रति प्रेम उमड़ आया। उसे लगा कि वे भी उसी की तरह अभागे हैं और अपने मालिक से दूर हैं।

प्रश्न 3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं? 

उत्तर- इस कहानी के माध्यम से निम्नलिखित नीति-विषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं-

• सरल-सीधा और अत्यधिक सहनशील होना पाप है। बहुत सीधे इन्सान को मूर्ख या 'गधा' कहा जाता है।

इसलिए मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए।

• आजादी बहुत बड़ा मूल्य है। इसे पाने के लिए मनुष्य को बड़े से बड़ा कष्ट उठाने को तैयार रहना चाहिए। 

• समाज के सुखी-संपन्न लोगों को भी आज़ादी की लड़ाई में योगदान देना चाहिए

प्रश्न 4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ 'मूर्ख' का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है?

उत्तर- गधे के स्वभाव की दो विशेषताएँ प्रसिद्ध हैं-

1. मूर्खता

2. सरलता और सहनशीलता ।

इस कहानी में लेखक ने गधे की सरलता और सहनशीलता की ओर हमारा ध्यान खींचा है। प्रेमचंद ने स्वयं कहा है- 'सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है।' कहानी में भी उन्होंने सीधेपन की दुर्दशा दिखलाई है, मूर्खता की नहीं। अतः लेखक ने सरलता और सीधेपन पर प्रकाश डाला है।

प्रश्न 5. किन घटनाओं में पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी? 

उत्तर- इस कहानी में अनेक घटनाएँ ऐसी हैं जिनसे पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी। 

पहली घटना:-  दोनों एक साथ गाड़ी में जाते जाते थे तो यह कोशिश करते थे कि गाड़ी का अधिक भार दूसरे साथी पर आकर उसके अपने कंधे पर आए।

दुसरी घटना:-- गया ने हीरा की नाक पर डंडा मारा तो मोती से सहा न गया। वह हल, रस्सी, जुआ, जोत सब लेकर भाग पडा। उससे हीरा का कष्ट देखा न गया।

तीसरी घटना:-  जब मटर के खेत में मटर खाकर दोनों मस्त हो रहे तो वे सींग मिलाकर एक-दूसरे को ठेलने लग अचानक मोती को लगा कि हीरा क्रोध में आ गया है तो यह पीछे हट गया। उसने दोस्ती को दुश्मनी में बदलने से रोक लिया। 

चौथी घटना:- जब उनके सामने विशालकाय साँड आ खड़ा हुआ तो उन्होंने योजनापूर्वक एक-दूसरे का साथ देते हुए उसका मुकाबला किया। साँड एक पर चोट करता तो दूसरा उसकी देह में अपने नुकीले सींग चुभा देता। आखिरकार साँड बेदम होकर गिर पड़ा।

पांचवी घटना:- मोती मटर के खेत में मटर खाते-खाते पकड़ा गया। हीरा उसे अकेला विपत्ति में देखकर वापस आ गया। वह भी मोती के साथ पकड़ा गया।

छठी घटना:-  कांजीहास में हीरा ने दीवार तोड़ डाली। उसे रस्सियों से बाँध दिया गया। इस पर मोती ने उसका साथ दिया। पहले तो उसने बाड़े की दीवार तोड़कर हीरा का अधूरा काम पूरा किया। फिर उसका साथ देने के लिए उसी के साथ बंध गया


प्रश्न 6. ‘लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।'  हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर- हीरा के इस कथन से यह ज्ञात होता है कि समाज में स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। उन्हें शारीरिक यातनाएँ दी जाती थीं। इसलिए समाज में ये नियम बनाए जाते थे कि उन्हें पुरुष समाज शारीरिक दंड न दे। हीरा और मोती भले इन्सानों के प्रतीक हैं। इसलिए उनके कथन सभ्य समाज पर लागू होते हैं। असभ्य समाज में स्त्रियों की प्रताड़ना होती थी।

प्रश्न 7. किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया एया है?

उत्तर- किसान जीवन में पशुओं और मनुष्यों के आपसी संबंध बहुत गहरे तथा आत्मीय रहे हैं। किसान पशुओं को घर के सदस्य की भाँति प्रेम करते रहे हैं और पशु अपने स्वामी के लिए जी-जान देने को तैयार रहे हैं। झूरी हीरा और मोती को बच्चों की तरह स्नेह करता था। तभी तो उसने उनके सुंदर-सुंदर नाम रखे हीरा-मोती। वह उन्हें अपनी आँखों से दूर नहीं करना चाहता था। जब हीरा-मोती उसकी ससुराल से लौटकर वापस उसके थान पर आ खड़े हुए तो उसका हृदय आनंद से भर गया। गांव-भर के बच्चों ने भी बैलों की स्वामिभक्ति देखकर उनका अभिनंदन किया। इससे पता चलता है कि किसान अपने पशुओं से मानवीय व्यवहार करते हैं।

प्रश्न 8. 'इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे -मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- मोती स्वभाव से उग्र किंतु दयालु बैल है। वह किसी पर भी अत्याचार होते देखकर उग्र हो उठता है। वह अत्याचारों से भिड़ जाता है। काँजीहौस में भी उसने कैद पशुओं पर दया करके बाड़े की दीवार तोड़ डाली और उन्हें आजाद कर दिया। इस पर हीरा ने उसे चेताया कि अब उस पर मुसीबतें आएँगी। उसे भी रस्सियों से बाँध दिया जाएगा। तब मोती ने गर्व से कहा- ऐसा बंधन मुझे स्वीकार है। कम-से-कम मेरे बँधने से यह तो हुआ कि नौ-दस जानवरों की जानें बच गई। अब सारे मुझे आशीर्वाद देंगे। 

उपरोक्त कथन से मोती की दयालुता , उग्रता तथा बलिदान - भावना का ज्ञान होता है ।

प्रश्न 9. आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। 

उत्तर- हीरा और मोती बिना कोई वचन कहे एक-दूसरे के मन की बात समझ जाते थे। प्रायः वे एक-दूसरे से स्नेह की बातें सोचते थे। यद्यपि मनुष्य स्वयं को सब प्राणियों से श्रेष्ठ मानता है किंतु उसमें भी यह शक्ति नहीं होती।

(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती, पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।  

उत्तरः- हीरा और मोती गया के घर बँधे हुए थे। गया ने उनके साथ अपमानपूर्ण व्यवहार किया था। इसलिए वे क्षुब्ध थे।  परंतु तभी एक नन्हीं लड़की ने आकर उन्हें एक रोटी ला दी। उस रोटी से उनका पेट तो नहीं भर सकता था। परंतु उसे खाकर उनका हृदय जरूर तृप्त हो गया। उन्होंने बालिका के प्रेम का अनुभव कर लिया और प्रसन्न हो उठे।

प्रश्न 10. गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि 

(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।

(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी। 

(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था। 

(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी। 

(सही उत्तर के आगे ( ✔) का निशान लगाइए।) 

उत्तर- (ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था


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