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कक्षा -9 पुस्तक- क्षितिज पाठ - कैदी और कोकिला कवि- माखनलाल चतुर्वेदी जी

  कक्षा -9 पुस्तक- क्षितिज  पाठ - कैदी और कोकिला कवि- माखनलाल चतुर्वेदी जी     पाठ - कैदी और कोकिला पाठ्य पुस्तक के प्रश्न- अभ्यास प्रश्न 1....

 कक्षा -9

पुस्तक- क्षितिज 

पाठ - कैदी और कोकिला

कवि- माखनलाल चतुर्वेदी जी

    पाठ - कैदी और कोकिला




पाठ्य पुस्तक के प्रश्न- अभ्यास

प्रश्न 1. कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर- कोयल की कूक सुनकर कवि को लगा कि वह मानो उसे कुछ कहना चाहती है। या तो वह उसे रहने की प्रेरणा देना चाहती है या उसकी यातनाओं के दर्द को बाँटना चाहती है। उसे लगता है कि कॉि को देखकर आँसू बहा रही है और चुपचाप अंधेरे को बेधकर विद्रोह की चेतना जगा रही है। इसलिए अंत में कवि पर आत्म- बलिदान करने को तैयार हो जाता है।

प्रश्न 2. कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई? 

उत्तर- कवि ने कोकिल के बोलों के पीछे अनेक संभावनाएं व्यक्त की हैं। उनके अनुसार-

• कोकिल कवि की यातनाओं से सहानुभूति प्रकट करने आई है।

• या कवि के आँसू पोछने आई है।

• या परतंत्रता के अंधेरे को छाँटने आई है।

• या कैदियों के मन में स्वतंत्रता की ज्वाला जगाने आई है।

• या कवि के हृदय में विद्रोह के बीज बोने आई है।

• या संकट के सागर को सामने देखकर स्वयं बलिदान होने आई है। क्यों?

प्रश्न 3. किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ?

उत्तर-ब्रिटिश शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है।

क्योंकि ब्रिटिश शासकों ने बेकसूर भारतीयों पर चार अत्याचार किए। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को कारागृह में की यातनाएँ दीं। उन्हें कोल्हू के बैल की तरह जोता गया।

प्रश्न 4. कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।

                          अथवा

'कैदी और कोकिला' कविता के अनुसार लिखिए कि तत्कालीन शासक लोग स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कैसा

व्यवहार करते थे?

उत्तर- पराधीन भारत में कैदियों को अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं। राजनैतिक बंदियों को भी चोरों, लुटेरों और राहजन के साथ रखा जाता था। उन्हें रहने के लिए अँधेरी कोठरी दी जाती थी। उन्हें हथकड़ी से बाँधकर रखा जाता था। भोजन भी इतना कम दिया जाता था कि जिससे पेट नहीं भरता था। उनसे पशुओं का काम लिया जाता था। उनसे कोल्हू चलवाया जाता था।

प्रश्न 5. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!

उत्तर- कवि के अनुसार, वैसे तो संसार में कष्ट ही कष्ट हैं। यदि कहीं कुछ मृदुलता और सरसता बची है तो वह कोयल के मधुर स्वर में बची है। अतः कोयल मृदुलता की रखवाली करने वाली है। वह उससे पूछता है कि आखिर वह जेल में अपना मधुर स्वर गुँजाकर उसे क्या कहना चाहती है।

(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जुआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ । 

उत्तर- इसमें जेल की असहनीय यातनाएँ झेलता हुआ कवि स्वाभिमानपूर्वक कहता है कि वह अपने पेट पर कोल्हू का बांधकर चरसा चला रहा है। आशय यह है कि उससे पशुओं जैसा सख्त काम लिया जा रहा है। फिर भी वह हार नहीं मान रहा। इससे ब्रिटिश सरकार की अकड़ ढीली पड़ रही है। अंग्रेजों को बोध हो गया है कि अब अत्याचार करने से भी वे सफल नहीं हो सकते।

प्रश्न 6. अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?

                    अथवा

बंदी कवि को 'कोकिल' की बोली आधी रात में चीख जैसी क्यों प्रतीत होती है? 

उत्तर- कवि को अंदेशा है कि कोयल कैदियों पर ढाए जाने वाले घोर अत्याचारों को देखकर द्रवित हो उठी है। इसलिए दुख के मारे आधी रात में ही उसके मुख से चीख निकल पड़ी है।

प्रश्न 7. कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?

उत्तर- कवि को कोयल से इसलिए ईर्ष्या हो रही है क्योंकि कोयल स्वतंत्र है, जबकि कवि बंदी है। कोयल हरियाली का आनंद ले रही है. जबकि कवि दस फुट की अँधेरी कोठरी में जीने के लिए विवश है। कोयल के गान की सभी सराहना करते हैं. जबकि कवि के लिए रोना भी गुनाह हो गया है।

प्रश्न 8. कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट पर तुली है?

उत्तर- कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की निम्नलिखित मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं- 

• जब ओस से सनी घास पर सूरज की किरणें पड़ती थीं, तब कोयल गान सुनाती थी। 

• जब विंध्याचल पर्वत से गिरने वाले झरनों पर कोयल गान सुनाती थी।

• जब विंध्याचल पर्वत की बहुत-बहुत ऊँची चोटियों पर कोयल गान सुनाती थी। 

• जब सारे संसार को अपने तेज झोंकों से कँपाने वाली हवा के बीच कोयल गान सुनाती थी।

क्यों-अब कोयल इन सारी मधुर स्मृतियों को नष्ट करने पर इसलिए तुली है क्योंकि वह अंग्रेज़ सरकार द्वारा त्रता सेनानियों पर किए गए अत्याचारों से क्षुब्ध है।

प्रश्न 9. हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?

उत्तर- गहना उस आभूषण को कहते हैं, जो धारणकर्ता का गौरव और सौंदर्य बढ़ाए। पं. माखनलाल चतुर्वेदी जैसे कारी, जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए स्वयं प्रेरणा से संघर्ष का मार्ग अपनाया था. जेल को अपना प्रिय आवास तथा कड़ियों को गहना समझते थे। उन्हें किसी गलत कार्य के लिए हथकड़ी नहीं पहननी पड़ी। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के महान न्य के लिए हथकड़ियाँ स्वीकार कीं, अतः उनसे उनका गौरव बढ़ा। समाज ने उन्हें उन हथकड़ियों के लिए प्रतिष्ठा दी। लए उन्होंने हथकड़ियों को गहना कहा।






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