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कक्षा- 11 पुस्तक- आरोह भाग 1 पाठ- जामुन का पेड सारांश/ प्रश्नोत्तर

कक्षा- 11 पुस्तक- आरोह भाग 1 पाठ- जामुन का पेड सारांश/ प्रश्नोत्तर  पाठ का सारांश:--  'जामुन का पेड़' 'कृश्नचंदर' द्वारा रचि...



कक्षा- 11

पुस्तक- आरोह भाग 1

पाठ- जामुन का पेड

सारांश/ प्रश्नोत्तर 

पाठ का सारांश:--

 'जामुन का पेड़' 'कृश्नचंदर' द्वारा रचित एक हास्य-व्यंग्य रचना है। इस पाठ में लेखक ने बताया है कि सरकारी कार्यालयों में अधिकारी मामूली से काम को किस प्रकार विशेष बनाकर उसमें व्यस्त होने का ढोंग करते हैं तथा अपना काम दूसरे के सिर पर डाल देते हैं। वे एक मरते हुए व्यक्ति को बचाने के स्थान पर बहाने बनाते रहते हैं। इस प्रकार लेखक ने सरकारी व्यवस्था के संवेदन-शून्य और अमानवीय होने का वर्णन भी किया ।

रात को जोर की आँधी आने से सेक्रेटेरियेट के लॉन में खड़ा जामुन का पेड़ गिर जाता है। उसके नीचे एक आदमी दब जाता है। यह देखकर माली ने चपरासी से कहा, चपरासी ने क्लर्क से और क्लर्क ने सुपरिंटेंडेंट से कहा। इतने में पेड़ के चारों और भीड़ जमा हो गई। अर्क लोग जामुन के पेड़ के गिरने का अफ़सोस व्यक्त करने लगे क्योंकि जामुन के पेड़ की जामुनें बहुत स्वादिष्ट थीं और वे उन्हें अपने बच्चों के लिए ले जाते थे। इस बोच किसी को भी पेड़ के नीचे दबे आदमी का ख्याल नहीं आया। माली ने धीरे से सबका ध्यान उस दवे हर आदमी को और दिलाया तो सुपरिंटेंडेंट सहित सभी सोच में पड़ गए कि अब क्या किया जाए? माली ने सुझाव दिया कि पेड़ हटाकर उसके नीचे दबे आदमी को निकाल लिया जाए। सुपरिटेंडेंट ने ऐसा करने से रोक दिया। वह अंडर सेक्रेटरी को पेड़ गिरने तथा पेड़ के नीचे दवे आदमी की सूचना देने चला गया। अंडर सेक्रेटरी ने फ़ाइल पर नोट लिखकर डिप्टी सेक्रेटरी को भेजा, उसने ज्वाइंट सेक्रेटरी को तथा वहाँ से चीफ़ सेक्रेटरी से गुजरती हुई फ़ाइल मिनिस्टर के पास पहुँच गई। मिनिस्टर ने चीफ़ सेक्रेटरी के कान में कुछ कहा। वहाँ से चलकर फ़ाइल सबसे गुजरती हुई वापस अंडर सेक्रेटरी के पास आ गई। इसी में आधा दिन गुजर गया।

दोपहर के खाने तक कुछ क्लकों ने सरकार के फैसले का इंतत्तार किए बिना ही पेड़ को हटाने का निश्चय किया। जैसे ही वे लोग पेड़ हटाने लगे सुपरिंटेंडेंट फ़ाइल लेकर आ गया और कहने लगा कि वे लोग पेड़ नहीं हटा सकते क्योंकि वे लोग व्यापार विभाग से संबंधित हैं। इसे हटाने का कार्य कृषि विभाग का है। दूसरे दिन भी फ़ाइल चलती रही। कृषि विभाग ने यह कहकर इस कार्य से हाथ झाड़ लिये व हिमत - सर पेड़ व्यापार विभाग में गिरा है, इसलिए पेड़ हटवाने का काम उनका है। यह उत्तर पढ़कर व्यापार विभाग को क्रोध आ गया। उस विभाग ने फ़ाइल पर लिख दिया कि पेड़ संबंधी कार्य कृषि विभाग के हैं और व्यापार विभाग का इससे कोई संबंध नहीं है। तब कृषि विभाग ने पेड़ हटाने का कार्य हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट पर डाल दिया, क्योंकि जामुन का पेड़ फलदार पेड़ था। रात के समय पेड़ के चारों ओर पुलिस का पहरा लगा हुआ था। एक पुलिस कांस्टेबल को पेड़ के नीचे दबे आदमी पर दया आ गई। इसीलिए वह माली को दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाने की अनुमति दे देता है। माली दबे हुए आदमी से उसके घर का पता पूछता है। आदमी कहता है कि वह लावारिस है। तीसरे दिन हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट का जवाब आता है कि सरकार पेड़ लगाने के लिए कहती है, पेड़ काटने के लिए नहीं। जामुन का पेड़ तो फलदार पेड़ था इसलिए उनका विभाग फलदार पेड़ काटने की अनुमति नहीं दे सकता। यह जवाब सुनकर वहाँ खड़े एक व्यक्ति ने सुझाव दिया कि यदि पेड़ नहीं काट सकते तो आदमी को काटकर पेड़ के नीचे से निकाल लेते हैं। दबा हुआ आदमी बोला कि ऐसे तो वह मर जाएगा। सुझाव देने वाले व्यक्ति ने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी ने बहुत उन्नति कर ली है। आदमी को काट कर निकालने के बाद प्लास्टिक सर्जरी से उसका धड़ और निचला हिस्सा जोड़ा जा सकता है। इस सुझाव पर विचार करने के बाद दवे आदमी की फ़ाइल मेडिकल डिपार्टमेंट में भेज दी गई। मेडिकल डिपार्टमेंट वालों ने इसपर तुरंत कार्रवाई आरंभ कर दी। विभाग से एक योग्य प्लास्टिक सर्जन ने आकर आदमी का चेकअप किया है। चेकअप करने के बाद उसने रिपोर्ट तैयार भी कि ऑपरेशन तो सफल हो जाएगा लेकिन आदमी मर जाएगा।इसीलिए यह फैसला रद्द कर दिया जाता है।

माली रात के समय दबे हुए आदमी को खाना खिलाते हुए कहता है कि उसका मामला ऊपर तक पहुँच गया है। अब उम्मीद है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। 

आदमी दुखी होकर मिर्जा गालिब का शेर पढ़ता है- 

ये तो माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन।

खाक हो जाएँगे तुमको खबर होने तक ॥ 

उसका शेर सुनकर माली हैरान हो जाता है।

माली उससे पूछता है कि क्या वह शायर है ? आदमी हामी भरता है। अगले दिन पूरे विभाग में आदमी के शायर होने की खबर फैल जाती है। शायर होने का पता चलते ही पूरा शहर आदमी को देखने के लिए उमड़ पड़ता है। उसके चारों ओर कवि सम्मेलन का-सा वातावरण उत्पन्न हो जाता है। सभी लोग अपनी कविताएँ और दोहे पढ़ने लगते हैं। आदमी के कवि होने का पता चलते ही सेक्रेटेरियेट की सब-कमेटी उसकी फ़ाइल कल्चरल डिपार्टमेंट में भेज देती है। फाइल कल्चरल डिपार्टमेंट के कई विभागों से गुजरती हुई साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी के पास पहुँचती है। उसी समय साहित्य अकादमी का सेक्रेटरी पेड़ के नीचे दबे आदमी का इंटरव्यू लेने के लिए वहाँ आता है। वह कवि से उसका उपनाम पूछता है। वह अपना उपनाम 'ओस' बताता है। सेक्रेटरी कहता है कि क्या वह वही 'ओस' तो नहीं जिसका गद्य संग्रह 'ओस के फूल' अभी-अभी प्रकाशित हुआ है ? पेड़ के नीचे दवे आदमी के हाँ कहने पर सेक्रेटरी उससे पूछता है कि क्या वह साहित्य अकादमी का सदस्य है? आदमी इनकार कर देता है। सेक्रेटरी को हैरानी होती है कि इतना बड़ा कवि उनकी साहित्य अकादमी का सदस्य नहीं है। दवा हुआ आदमी उससे उसे पेड़ के नीचे से निकालने के लिए कहता है। सेक्रेटरी उसे निकलवाने का प्रबंध करने के लिए कह कर चला जाता है। अगले दिन सेक्रेटरी उसे साहित्य अकादमी का सदस्य बनने पर बधाई देता है परंतु वह दबा हुआ आदमी उससे कहता है कि पहले उसे पेड़ के नीचे से निकालो। सेक्रेटरी असमर्थता प्रकट करता है कि यह काम उनके डिपार्टमेंट का नहीं है। इसके लिए उन्होंने फॉरस्ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है। शाम के समय माली उस दवे आदमी को बताता है कि फ़ारेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी कल आकर उसे निकाल देंगे।

दबे हुए आदमी का स्वास्थ्य धीरे-धीरे जवाब दे रहा था। फॉरस्ट डिपार्टमेंट के आदमी पेड़ काटने के लिए आए तो ज्ञात हुआ कि विदेश विभाग का आदेश है कि यह पेड़ काटा नहीं जाएगा। इस पेड़ को पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगाया था। पेड़ काटने से पीटोनिया राज्य से संबंध बिगड़ सकते हैं। उनसे मित्रता बनाए रखने के लिए एक व्यक्ति का बलिदान दिया जा सकता है। अभी क्लर्क कवि को लेकर बहस कर ही रहे थे कि अंडर सेक्रेटरी ने सुपरिंटेंडेंट को बताया कि आज प्रधानमंत्री वापस आ रहे हैं। उनके आने विदेश विभाग पेड़ की फ़ाइल उन्हें पेश करेगा। वही फैसला करेंगे। शाम को सुपरिंटेंडेंट ने आकर बताया कि प्रधानमंत्री ने पेड़ काटने आदेश दे दिया है। कल पेड़ काट दिया जाएगा और दबे हुए आदमी को बचाया जा सकेगा। आज उसकी फ़ाइल बंद हो गई है लेकिन 'कुछ भी सुन नहीं सका, क्योंकि आज उसके जीवन की फ़ाइल भी बंद हो गई थी। वह मर गया था।

पाठ के साथ:--

प्रश्न-1 बेचारा जामुन का पेड़ । कितना फलदार था  और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।

( क) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?

(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है ?

उत्तर (क)-  यह संवाद सेक्रेटेरियेट के लॉन में खड़े जामुन के पेड़ के गिरने से संबंधित है। रात के समय जोर की आँधी आती है और लॉन में खड़ा पेड़ गिर जाता है। पेड़ गिरने से एक आदमी उसके नीचे दब जाता है। माली अगले दिन यह सब देखकर ऑफ़िस में ख़बर करता है। सभी वहाँ इकट्ठे हो जाते हैं। वहाँ उपस्थित क्लर्क जामुन के पेड़ के गिरने का अफ़सोस करते हुए कहते हैं कि जामुन का पेड़ बहुत फलदार था। उसकी जामुनें भी बहुत मीठी थीं। उन लोगों को जामुन के पेड़ के गिरने का बहुत दुख था। 

(ख) सेक्रेटेरियेट के लॉन में खड़े लोग जामुन के पेड़ के गिरने का दुःख व्यक्त कर रहे थे लेकिन पेड़ के नीचे दवे व्यक्ति की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया था। इससे वहाँ खड़े लोगों की संवेदनशून्यता और अविवेकपूर्ण मानसिकता का पता चलता है। जिससे सुख और लाभ मिलता है, लोग उसी के लिए दुख व्यक्त करते हैं। जिसे जानते नहीं और जिससे उन्हें कोई सुख भी नहीं मिला हो, उसके लिए वे सोचना भी नहीं चाहते।

प्रश्न 2. दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फ़ाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा ?

उत्तर- सेक्रेटेरियेट के लॉन में तेज आँधी के कारण जामुन के पेड़ के गिरने से एक आदमी उसके नीचे दब जाता है। उसे पेड़ के नीचे से निकालने के लिए एक सरकारी फ़ाइल बनती है। यह घटना व्यापार विभाग के लॉन में घटती उसे पेड़ के नीचे से निकालने के लिए बनी फ़ाइल वहाँ से चलकर कृषि विभाग और हार्टीकल्चर विभाग में जाती है। माली पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को दिलासा देते हुए कहता है कि उसका मामला ऊपर तक पहुँच गया है। आशा है कि सब ठीक हो जाएगा। माली की बात सुनकर वह आदमी मिर्जा गालिब का शेर पढ़ता है कि, जब तक फ़ैसला होगा तब तक वह मर ही जाएगा। माली उसका शेर सुनकर उससे पूछता है कि क्या वह कवि है? आदमी हाँ कहता है। अगले दिन पूरे आफ़िस में पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी के कवि होने की बात फैल जाती है। शहर में भी इस आदमी को लेकर चर्चा आरंभ हो जाती है। सेक्रेटेरियेट के लॉन में कवि सम्मेलन जैसा वातावरण बन जाता है। कवि होने के कारण इस आदमी को निकालने के लिए फ़ाइल कल्चरल डिपार्टमेंट में भेजी जाती है। वहाँ से उसकी फ़ाइल कई विभागों में से गुजरती हुई साहित्य अकादमी में पहुँचती है। वहाँ से सेक्रेटरी उस आदमी का इंटरव्यू लेने आता है। इंटरव्यू लेते समय उसे पता चलता है कि इस आदमी का उपनाम 'ओस' है, जिसका गद्य संग्रह 'ओस के फूल' के नाम से प्रकाशित हुआ है। दा दबा हुआ आदमी साहित्य अकादमी का सदस्य नहीं है। सेक्रेटरी इस आदमी को साहित्य अकादमी का सदस्य बना लेता है लेकिन वह बताता है कि पेड़ के नीचे से निकालने का कार्य उसके विभाग का नहीं है। इसके लिए उसकी फ़ाइल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को भेज दी जाती है। इससे पता चलता है कि आदमी की फ़ाइल थोड़ा चलती है, आशा बंधती है, फिर टूट जाती है। आदमी के कवि होने से भी उसकी फ़ाइल की यात्रा में कोई अंतर नहीं पड़ता। अब फ़ाइल वहाँ से वन विभाग में भेज दी जाती है। 

प्रश्न 3. कृषि विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया ?

उत्तर- सरकारी व्यापार विभाग के लॉन में जामुन के पेड़ के गिरने से एक आदमी दब गया। उसे निकालने की अपेक्षा व्यापार विभाग वालों ने यह मामला कृषि विभाग पर डाल दिया। कृषि विभाग वाले अधिकारियों ने जामुन के पेड़ के नीचे से आदमी निकलवाने का मामला हॉर्टीकल्चर विभाग पर डाल दिया। हॉर्टीकल्चर विभाग में मामला देने के पीछे कृषि विभाग ने यह कारण बताया कि कृषि विभाग अनार और खेती-बाड़ी से संबंधित मामलों में फ़ैसला करने का दी अधिकार रखता है। जामुन का पेड़ एक फलदार पेड़ था इसलिए इसका मामला हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है। इस समस्या का हल हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट को निकालना चाहिए।

प्रश्न 4 - इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?

उत्तर- इस पाठ में जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी की फ़ाइल के माध्यम से सरकार के व्यापार विभाग, कृषि विभाग, हॉर्टीकल्चर विभाग, मेडिकल विभाग, कल्चरल विभाग, फ़ॉरेस्ट विभाग और विदेश विभाग का वर्णन आया है। 

व्यापार विभाग व्यापार संबंधित कार्य देखता है। कृषि विभाग अनाज और खेती-बाड़ी से संबंधित फ़ैसले करता है। हॉर्टीकल्चर विभाग फलदार या हरे-भरे पेड़-पौधों से संबंधित कार्य करता है। मेडिकल विभाग में बीमार आदमियों का इलाज किया जाता है। कल्चरल विभाग साहित्य से संबंधी कार्य करता है। फॉरेस्ट विभाग पेड़ों के संरक्षण का कार्य करता है तथा विदेश-विभाग दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने का कार्य करता है।

पाठ के आस-पास :--

प्रश्न 1 कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कय-कय होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है ?

उत्तर- रात को तेज आँधी आने से जामुन का पेड़ गिर गया। पेड़ के नीचे एक आदमी दब गया। माली सुबह उठकर सबको बताता है। सभी लोग इकट्ठे हो जाते हैं और जामुन के पेड़ के लिए अफ़सोस प्रकट करते हैं। माली लोगों का ध्यान पेड़ के नीचे दवे आदमी की ओर खींचता है। आदमी अभी जीवित था। माली पेड़ हटाकर आदमी को निकालने की बात करता है। वहाँ खड़े क्लर्क और चपरासी पेड़ हटाने के लिए तैयार हो जाते हैं। जैसे ही सभी इक‌ट्ठे होकर पेड़ को उठाने लगते हैं उसी समय सुपरिंटेंडेंट आकर रोक देता है, क्योंकि पेड़ सरकारी विभाग में गिरा था इसलिए बड़े अधिकारियों से पूछना जरूरी था। कहानी में दूसरी बार आदमी को पेड़ के नीचे से निकालने का प्रसंग उस समय आता है जब आदमी की फ़ाइल दोपहर तक भी कोई जवाब लेकर नहीं आती। कुछ मनचले क्लकों ने पेड़ के नीचे दवे आदमी को स्वयं ही निकालने का निश्चय किया। वे सरकार के फैसले का इंतजार नहीं करना चाहते, क्योंकि फ़ैसला आने में देर लग सकती थी। जैसे ही वे लोग मिलकर पेड़ उठाने का फ़ैसला कर रहे थे उसी समय सुपरिंटेंडेंट फ़ाइल लेकर आता है और कहता है कि वे लोग पेड़ को हटा नहीं सकते। यह कार्य कृषि विभाग से संबंधित है इसलिए फ़ाइल कृषि विभाग में भेजी जा रही है। इस प्रकार पेड़ के नीचे दवे आदमी को लोगों द्वारा निकालने का संकल्प दो बार भंग होता है।

प्रश्न 2. यह कहना कहाँ तक युक्ति संगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क

दें ।

उत्तर - लेसखक ने 'जामुन का पेड़' कहानी में सरकारी कार्य प्रणाली पर व्यंग्य किया है जिससे हास्य की स्थिति उत्पन्न होती है, लेकिन स्थानों पर करुणा का भी समावेश है। जामुन का पेड़ गिरने से एक आदमी उसके नीचे दब जाता है। इस घटना की खबर माली सबक देता है। सभी क्लर्क जामुन के पेड़ की रसीली जामुनें याद करते हैं लेकिन माली को उस आदमी की चिंता है जो रात से पेड़ के नी दबा पड़ा था। माली के ध्यान दिलवाने से सभी लोग आदमी के दुख को समझकर उसे निकालने के लिए तैयार होते हैं कि सरका नियम बीच में आ जाते हैं। माली और कुछ अन्य क्लकों को उस आदमी की ज्यादा चिंता होती है। वे सरकारी फ़ैसले का भी इंतजा नहीं करना चाहते लेकिन सरकारी अफ़सर सभी कार्य नियमों के अनुसार करना चाहते हैं। माली उसकी तकलीफ़ को देखते हुए उसक उसके घर का पता पूछता है। उस समय पता चलता है कि वह लावारिस है। रात के समय पहरे पर बैठे एक सिपाही को इस दबे हुए आदमी पर दया आती है और वह माली से आदमी को दाल-भात खिलाने की आज्ञा दे देता है। आदमी के कवि होने का पता चलता है तो लोगों को उसकी तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं होता। वहाँ पर वे केवल काव को देखने तथा अपनी लिखी कविताएँ सुनाने आते हैं। उस समय भी उस आदमी के प्रति करुणा उपजती है। जो व्यक्ति अपनी कलम से दूसरों के दुख-तकलीफ़ प्रकट करता है आज वह स्वयं बेबस है और दूसरों के लिए मनोरंजन का साधन बना हुआ है। कहानी में एक स्थान पर हास्य के साथ करुणा भी उत्पन्न होती है जब साहित्य अकादमी का सेक्रेटरी पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालते में अपनी असमर्थता प्रकट करता है और कहता है कि यदि वह मर गया तो उसकी पत्नी को वजीफ़ा दे सकते हैं। कितने दुख की बात है कि जीवित व्यक्ति के लिए तो कुछ कर पाने में असमर्थ हैं, लेकिन उसके मरने के बाद उसके परिवार के दुख कम करने में आर्थिक सहायता दे सकते हैं। धीरे-धीरे आदमी की स्वयं को जीवित रखने की स्वयं से लड़ाई समाप्त होती जा रही थी। आदमी का स्वास्थ्य जवाब दे रहा था लेकिन सरकारी विभागों में अभी भी आदमी की फ़ाइल पर विचार चल रहा था। फ़ॉरेस्ट विभाग के आदमी उसे पेड़ से मुक्त कराने आते हैं लेकिन विदेश विभाग ऐसा करने से रोक देता है। उनके अनुसार यह पेड़ पोटोनिया सरकार के मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है इसलिए इसे काटा नहीं जा सकता संबंध बनाए रखने के लिए एक जीवन की बलि दी जा सकती है। इस व्यंग्य के माध्यम से लेखक ने यह बताया है कि सरकारी अधिकारी और उनके बनाए खोखले नियम एक व्यक्ति के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। आदमी मर जाए लेकिन नियम नहीं टूटने चाहिए। अंत में फ़ैसला आते ही आदमी के जीवन का फैसला भी हो जाता है। उसे सरकारी फ़ाइल से मुक्ति मिल जाती है अर्थात् आदमी के जीवन की फ़ाइल ही समाप्त हो जाती है। इस पाठ में जहाँ एक तरफ सरकारी अधिकारियों और नियमों पर हँसी आती है वहीं आदमी की दयनीय स्थिति पर करुणा भी उत्पन्न होती है।

प्रश्न 3 यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फ़ैसले का इंतजार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों ? और नहीं, तो क्यों ?

उत्तर:- माली एक सरकारी विभाग में काम करता था इसलिए वह कानूनी दायरे में बँधा हुआ था। यदि हम लोग माली के स्थान पर होते तो सरकारी फैसले का इंतजार किए बिना मानवता के नाते उस आदमी को पेड़ के नीचे से निकाल देते। सरकारी काम में फ़ाइल तो जल्दी बनती है लेकिन उसपर कार्रवाई चींटी की चाल से होती है। कहानी में आदमी की फ़ाइल पर फ़ैसला होने तक आदमी मर जाता है। इसलिए बिना सरकारी आदेश की प्रतीक्षा किए ही आदमी को पेड़ के नीचे से निकालना उचित होता। माली के स्थान पर यदि मैं होता तो आदमी से सहानुभूति रखते हुए माली की तरह ही सरकारी फ़ैसले का इंतजार करता। सरकार कार्यवाही में इतने पेचीदे नियम होते हैं कि आदमी के प्राण बचाते-बचाते अपने ही प्राण सरकारी फ़ाइलों में फँस जाते, जिसमें से मरकर भी निकल नहीं पाते। इसीलिए पेड़ के नीचे दबे आदमी से सहानुभूति होते हुए भी उसके लिए कुछ नहीं कर पाता।





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