कक्षा-11 पुस्तक- आरोह पाठ - रजनी लेखिका - मन्नू भंडारी जी पाठ का सारांश :- ‘रजनी' एक पटकथा है। इसकी लेखिका मन्नू भंडारी हैं। लेखिका ने ...
कक्षा-11
पुस्तक- आरोह
पाठ - रजनी
लेखिका - मन्नू भंडारी जी
पाठ का सारांश :-
‘रजनी' एक पटकथा है। इसकी लेखिका मन्नू भंडारी हैं। लेखिका ने रजनी के माध्यम से समाज में व्याप्त सामाजिक बुराइयों को दिखाया है। इस पटकथा में व्यवसाय बनती जा रही शिक्षा की समस्या का वर्णन किया है।
रजनी और लीला अमित के स्कूल से आने का इंतज़ार कर रही हैं। आज अमित का रिज़ल्ट आने वाला है। अमित एक मेधावी छात्र है। उसे आशा थी कि वह अपनी कक्षा में प्रथम आएगा। अमित जब स्कूल से आता है तो उसके चेहरे पर उदासी और क्रोध के मिले-जुले भाव हैं। वह स्कूल में छठे स्थान पर आया है। अमित इसके लिए अपनी माँ को दोषी ठहराता है। उसके गणित के अध्यापक ने उसे बार-बारट्यूशन लेने के लिए कहा था। वह गणित में अपनी कक्षा में सबसे अच्छा था। इसीलिए उसके माँ-बाप ने उसे गणित की ट्यूशन नहीं दिलवाई। अमित के गणित के अध्यापक ने ट्यूशन न रखने के कारण उसके गणित के पेपर में नंबर काट लिए थे। रजनी को यह बात बुरी लगती है कि ट्यूशन न रखने पर अध्यापक ने नंबर काट लिए हैं। वह अमित और लीला को स्कूल जाकर गणित के अध्यापक के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए कहती है। दोनों मना कर देते हैं।
उन्हें डर था कि कहीं अध्यापक अगले साल उसे परेशान न करने लगे। रजनी स्कूल में जाकर मुख्याध्यापक से मिलती है। उन्हें अमित के साथ हुई बेइंसाफी की बात बताती है लेकिन मुख्याध्यापक भी गणित के अध्यापक का पक्ष लेते हैं। उनके अनुसार अमित ने पेपर ही ठीक नहीं किया होगा, इसीलिए उसके नंबर कम आए। रजनी पेपर दिखाने को माँग करती है। मुख्याध्यापक इसे स्कूल के नियम के विरुद्ध बताता है। रजनी उनके विरुद्ध कार्रवाई करने की बात कहकर चली जाती हैं।
घर जाकर रजनी अपने पति से भी अमित के साथ हुए अन्याय की चात करती है। वे उसे सलाह देते हैं कि उसे किसी और के झगड़े में नहीं पड़ना चाहिए। रजनी अपने पति की बात सुनकर कहती है कि गलती करने वाला तो अपराधी है ही, लेकिन उसे सहन करने वाला उससे बड़ा अपराधी है। लोगों को अन्याय और अत्याचार देखकर चुप नहीं बैठना चाहिए। उसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए।
रजनी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन के ऑफिस जाती है। वहाँ का चपरासी रजनी को डायरेक्टर के कमरे के बाहर रोके रखता है, क्योंकि रजनी चपरासी को पैसे नहीं देती है। रजनी जबरदस्ती ऑफिस के अंदर चली जाती है। वह डायरेक्टर को अपना परिचय एक रिसर्च करने वाली के रूप में देती है जो कि स्कूलों, विशेष रूप से प्राइवेट स्कूलों और बोर्ड के आपसी संबंधों के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहती है। निदेशक उसे बताता है कि मान्यता प्राप्त स्कूलों को 90% सहायता दी जाती है। अधिकतर ऐसे स्कूलों के लिए बोर्ड नियम बनाता है, जिसे स्कूल के प्रबंधक मानते हैं। रजनी निदेशक से निजी स्कूलों में चलने वाली ट्यूशन के विषय में बात करती है। निदेशक कहता है कि कमजोर बच्चों के लिए ट्यूशन के लिए कहना उचित है। यदि कोई अध्यापक गलत ढंग से बच्चों को ट्यूशन के लिए उकसाए तो उसके लिए उस मुख्याध्यापक से बात करनी चाहिए जिससे उसके विरुद्ध उचित कार्यवाही हो सके। रजनी कहती है कि मुख्याध्यापक कहते हैं कि हम क्या कर सकते हैं ? बोर्ड को ही हस्तक्षेप करके ट्यूशन का धंधा चलाने वाले अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए। निदेशक भी रजनी की बातों पर ध्यान नहीं देता और कहता है कि उसके पास आज तक लिखित रूप में ऐसी कोई शिकायत नहीं आई और उनके पास और भी अन्य काम हैं। रजनी निदेशक का व्यवहार देखकर वहाँ से चली जाती है।
रजनी व्यक्तिगत रूप से लोगों से मिलती है और ऐसे अध्यापकों के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए उन्हें तैयार करती है जो बिना वजह बच्चों को ट्यूशन लेने के लिए परेशान करते हैं। रजनी के प्रयासों से काफी लोग इकट्ठा हो जाते हैं।
रजनी अखबार के दफ्तर में जाकर संपादक से भी मिलती है। संपादक अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने में उसका साथ देने के लिए तैयार हो जाता है।
रजनी अखचार के माध्यम से लोगों तक शिक्षा के क्षेत्र में चल रही धोखाधड़ी की खबर पहुँचाती है जिसे पढ़कर बहुत सारे लोग मीटिंग स्थल पर पहुँचते हैं। वहाँ पर उपस्थित लोग भी ट्यूशन लेने वाले अध्यापक के प्रति अपने-अपने विचार रखते हैं और अंत में रजनी लोगों को संबोधित करती है कि ट्युशन उन बच्चों के लिए जरूरी है जो पढ़ाई में कमजोर हों, या माँ-बाप पढ़े-लिखे न हों या माता-पिता समय की कमी के कारण बच्चों पर ध्यान नहीं दे सकते।
कुछ अध्यापक भी रजनी से मिलने आते हैं और वे ट्यूशन लेने का कारण बताते हैं कि स्कूलों में उन्हें तनख्वाह कम मिलती है और हस्ताक्षर ज्यादा तनख्वाह पर करवाए जाते हैं। रजनी कहती है कि सब लोगों को इकट्ठे होकर अपनी समस्या को प्रस्ताव के रूप में बोर्ड के सामने रखना होगा जिससे अध्यापक अपने स्कूल के छात्र को ट्यूरान नहीं पड़ा सकेंगे। और बच्चों के साथ चलने वाली जोर-जबरदस्ती बंद हो जाएगी। सब लोग रजनी की बात से सहमत होते हैं।
अगले दिन रजनी का पति अखबार में रजनी की तस्वीर देखता है और उसके बारे में लिखा समाचार पढ़ता है। रजनी भी यह पढ़कर खुरा हो जाती है कि बोर्ड ने उनका प्रस्ताव मान लिया है। रजनी हर अन्याय का डटकर मुकाबला करने की बात कहती है। उसका पति उसकी बात मानकर उसे बधाई देता है।
पाठ के साथ
प्रश्न 1. रजनी ने अमित के मुद्दे को गंभीरता से लिया, क्योंकि -
(क) वह अमित से बहुत स्नेह करती थी।
(ख) अमित उसकी मित्र लीला का बेटा था।
(ग) वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की सामर्थ्य रखती थी।
(घ) उसे अखबार की सुर्खियों में आने का शौक था।
उत्तर- (ग) वह अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की सामर्थ्य रखती थी।
प्रश्न 2. 'जब किसी का बच्चा कमजोर होता है, तभी उसके माँ-बाप ट्यूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न ले ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ... यह कोई मजबूरी तो है नहीं' प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है, तर्क दीजिए।
उत्तर:- रजनी ट्यूशन करने वाले अध्यापकों की शिकायत शिक्षा बोर्ड के निदेशक से करती है कि स्कूलों में अध्यापकों ने ट्यूशन को व्यवसाय बना लिया है। अध्यापक बच्चों को डरा-धमका कर ट्यूशन लेने के लिए मजबूर करते हैं। लेकिन निदेशक कहता है कि ट्यूशन कोई व्यवसाय नहीं है। निदेशक का कहना काफ़ी हद तक सही है कि ट्यूशन व्यवसाय नहीं है। जब किसी का बच्चा पढ़ाई में कमजोर होता है तो उसके माता-पिता उसकी कमजोरी को दूर करने के लिए ट्यूशन रखते हैं। यदि उनको ऐसा लगता है कि जिसके पास ट्यूशन रखा हुआ है वह पैसों के लालच के कारण बच्चे पर ध्यान नहीं दे रहा है तो बच्चे का ट्यूशन हटाकर कहीं और लगा दें। विषय से संबंधित अध्यापक के पास ट्यूशन लगाना मजबूरी नहीं है। माता-पिता बच्चों के भविष्य को सँवारने के लिए ट्यूशन रखते हैं। माता-पिता को पहले अध्यापक से मिलकर बच्चे की कमी को जान लेना चाहिए, फिर ट्यूशन लगाना चाहिए। किसी अध्यापक के दबाव में आकर ट्यूशन नहीं लगाना चाहिए।
प्रश्न 3.तो एक और आंदोलन का मसला मिल गया-फुसफुसाकर कही गई यह बात -
(क) किसने किस प्रसंग में कही ?
(ख) इससे कहनेवाली की किस मानसिकता का पता चलता है ?
उत्तर- (क) यह बात रजनी के पति ने मीटिंग स्थल पर कही थी। रजनी प्राइवेट स्कूलों में अध्यापकों द्वारा, पैसों के लालच में बच्चों को परेशान करने की बात करते हुए कहती है कि उसके पास कई अध्यापक मिलने आए थे। उन लोगों का कहना था कि स्कूलों में उन्हें मासिक वेतन कम मिलता है लेकिन हस्ताक्षर ज्यादा मासिक वेतन पर करवाए जाते हैं। इसीलिए गुजारे के लिए वह ट्यूशन करते हैं। रजनी उन लोगों को संगठित होकर आंदोलन करने को कहती है। इस समय रजनी का पति यह बात कहता है कि अब एक और आंदोलन करने का मसला मिल गया है।
(ख) यह बात जिसके संबंध में कही गई है उससे उसकी मानसिकता का पता चलता है कि वह अन्याय और अत्याचार को देखकर चुप नहीं रह सकती। वह समाज में यदि किसी भी क्षेत्र में कोई गलत काम हो रहा है तो किसी के भी साथ न देने पर अकेली हो अन्याय के विरुद्ध खड़ी हो जाती है।
प्रश्न 4. रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है? क्या होता अगर-
(क) अमित का पर्चा सचमुच खराब होता ।
(ख) संपादक रजनी का साथ न देता ।
उत्रतर:- रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित थी। आजकल स्कूलों में अध्यापक अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए बच्चों को वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक दिलाने का लालच देकर अपने पास ट्यूशन पढ़ने को कहते हैं। यदि कोई बच्चा या माता-पिता अध्यापक के कहने पर ट्यूशन नहीं रखता तो होशियार होते हुए भी उसे बहुत कम अंक मिलते हैं।
(क) यदि अमित का पेपर सचमुच खराब होता तो रजनी उसके लिए लड़ाई नहीं लड़ती। इसे अमित के माता-पिता की लापरवाही कहा जाता कि अध्यापक के बार-बार कहने पर भी उन्होंने अमित की ट्यूशन नहीं लगवाई।
(ख) यदि संपादक रजनी का साथ नहीं देता तो रजनी अपनी लड़ाई मजबूती से नहीं लड़ सकती थी। अखबार के माध्यम से रजनी की बात बहुत लोगों के सामने गई और लोगों ने उसकी अपील कर उसका साथ दिया। संपादक के माध्यम से ही रजनी ने ट्यूशन कराने वाले अध्यापकों पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव बोर्ड को पहुँचाया जिसे बोर्ड ने मान लिया।
प्रश्न-5 गलती करनेवाला तो है ही गुनहगार, पर उसे वर्दाशत करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता- इस संवाद के संदर्भ में आप सबसे ज्यादा किसे और क्यों गुनहगार मानते हैं?
उत्तर:- 'गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाशत करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता।' इस संवाद में गलती करने वाले से ज्यादा उसे सहन करने वाला व्यक्ति अधिक गुनहगार होता है, क्योंकि वह गलती करने वाले व्यक्ति को उसकी गलतियों का अहसास नहीं करवाता कि वह गलत काम कर रहा है। यदि सहन करने वाला व्यक्ति उसके विरुद्ध आवाज उठाए तो वह अगली बार ऐसी गलती कर ही नहीं सकता। अमित पढ़ाई में काफ़ी होशियार था। वह हर वर्ष प्रथम स्थान प्राप्त करता था। सातवीं कक्षा की अर्धवार्षिक परीक्षा में उसके गणित में छियानवे अंक होने पर भी गणित के अध्यापक ने उसे बार-बार ट्यूशन लेने के लिए कहा। वह गणित में अच्छा था इसलिए उसके माता-पिता ने उसे ट्यूशन नहीं पढ़वाई। वार्षिक परीक्षा में गणित का पेपर बहुत अच्छा होने पर भी उसे अध्यापक ने केवल बहत्तर अंक दिए जिससे वह छठे स्थान पर आया। उसे लगा कि यदि बह गणित के अध्यापक के पास ट्यूशन ले लेता तो उसके अंक अच्छे होते। लीला और कांति भाई जैसे लोग ऐसे लोगों को बढ़ावा देते हैं। यदि उसी समय स्कूल में जाकर अध्यापक से मिलते तो अमित को दुखी नहीं होना पड़ता। उन्हें उस अध्यापक के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए थी जो अतिरिक्त पैसे कमाने के लालच में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। ट्यूशन केवल कमजोर बच्चों के लिए होती है न कि उन बच्चों के लिए जो पढ़ाई में अच्छे हों। ऐसे में यदि अध्यापक बच्चों को डरा धमका रहे हैं तो माता-पिता को ऐसे अध्यापकों के विरुद्ध खडा होना चाहिए। साथ में और लोग जो उन्हें सहन कर रहे हैं उन्हें भी विरोध करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसी से बच्चों में भी गलत बात न सहन करने की आदत पड़ेगी और उनके भविष्य निर्माण के लिए शिक्षा के क्षेत्र में स्वच्छ वातावरण बन सकेगा। इससे पता चलता है कि गलती करने वाला तो गुनहगार है ही, लेकिन उसे सहन करके बढ़ावा देने वाले उससे ज्यादा गुनहगार हैं।
प्रश्न6. स्त्री के चरित्र की चनी बनाई धारणा से रजनी का चेहरा किन मायनों से अलग है ?
उतर- 'रजनी' स्त्री के चरित्र की बनी-बनाई धारणा से बहुत अलग है। एक आम स्त्री की सोच घर-परिवार से अलग नहीं होती। वह केवल
अपने और अपने परिवार के हित के बारे में सोचती है। यदि उसके परिवार में भी कुछ गलत घट रहा होता है यह उसके लिए जल्दी आवाज नहीं उठाती। आम स्त्री सब कुछ देखकर भी चुप-चाप सहन करती रहती है, लेकिन रजनी आम नारी से अलग है। वह अन्याय और अत्याचार को चुप रहकर सहन नहीं करती है। वह उसके विरुद्ध आवाज उठाती है। रजनी का चरित्र हम आम स्त्री से निम्नलिखित रूप से अलग कर सकते हैं-
(1) साहसी-रजनी एक साहसी नारी है। उसमें समाज में व्याप्त सामाजिक और राजनैतिक बुराइयों से लड़ने का साहस है। वह अकेले ही बुराइयों के विरुद्ध लड़ाई लड़ने का साहस रखती है।
(il) अन्याय को सहन न करना-रजनी अपने और किसी अन्य के साथ होते अन्याय को देख नहीं सकती है। वह किसी भी तरह का अन्याय सहन नहीं करती। जब अमित के साथ स्कूल में गणित का अध्यापक ट्यूशन न रखने के कारण उसे पेपर में कम अंक देता है, तो रजनी सहन नहीं करती। वह इस अन्याय के विरुद्ध खड़ी हो जाती है।
(iii) ऊँचे विचार-रजनी के विचार बहुत ऊँचे हैं। वह अपने विचारों से किसी को भी प्रभावित कर लेती है। रजनी का पति उसे कहता है उसने सारी दुनिया का ठेका नहीं ले रखा। तब रजनी यह कहती है कि गलती करने से बड़ा गुनहगार गलती को सहन करने वाला है। चारों तरफ अन्याय, अत्याचार और तरह-तरह की धोखेबाजी को देखकर चुप नहीं बैठना चाहिए। यदि यह सोचकर चुप बैठ जाएँ कि जो हो रहा है ठीक है, तो देश का सुधार नहीं हो सकता। इसके लिए लड़ाई लड़नी ही पड़ेगी।
(iv) इंसाफ-पसंद नारी-रजनी इंसाफ़ पसंद नारी है। यदि उसे किसी के लिए किसी से भी टक्कर लेनी पड़े तो वह डरती नहीं है। रजनी अमित के लिए हेंडमास्टर और डायरेक्टर ऑफ़ बोर्ड से मिलती है लेकिन जब दोनों जगह उसकी बात सुनी नहीं जाती, वह अखबार के माध्यम से लोगों तक अपनी बात पहुँचाती है तथा स्कूलों में चल रही ट्यूशनों के व्यवसाय को बंद करवाती है। इस तरह अमित और अमित जैसे अन्य बच्चों के भविष्य के लिए इंसाफ़ की लड़ाई लड़ती है।
(v) आदर्श नारी-रजनी समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करती है कि अपने और दूसरे के साथ हो रहे अन्याय को चुपचाप नहीं देखना चाहिए। उसके लिए संघर्ष करना चाहिए। आरंभ में अकेले ही चलना पड़ता है: और बाद में लोग अपने-आप ही सव देने के लिए पीछे-पीछे चल पड़ते हैं।
इस प्रकार हम रजनी को आम स्त्री से अलग कर सकते हैं। अन्याय किसी के साथ भी हो रहा हो लेकिन उसके लिए आवर उठाने का साहस रजनी ही कर सकती है।
प्रश्न 3. पाठ के अंत में भीटिंग के स्थान का विवरण कोष्ठक में दिया गया है। यदि इसी दृश्य को फ़िल्माया जाए तो आप कौर कौन-से निर्देश देंगे?
उत्तर- इस दृश्य को फ़िल्माने के लिए निम्नलिखित निर्देश दिए जाएँगे-
(1) जहाँ मीटिंग होनी है उस स्थान के बाहर संबंधित बैनर लगाने के लिए कहा जाएगा।
(ii) मीटिंग स्थान पर बहुत सारे लोगों को आने के लिए कहा जाएगा।
(iii) उन लोगों को प्रसन्नता और जोश दिखाते हुए सभा-स्थल में प्रवेश करने का निर्देश दिया जाएगा।
(iv) सभा स्थल में उचित समय पर विरोध और विद्रोह प्रदर्शित करने के लिए उसी प्रकार का अभिनय करने का निर्देश दिया जाएगा।
(v) सभा-भवन के प्रेस वालों के बैठने का विशेष स्थान बनाने का निर्देश दिया जाएगा।
( vi) एक महिला को माइक से उतरकर नीचे आने का निर्देश दिया जाएगा। (vii) सभा-भवन में तालियाँ बजाने के लिए निर्देश दिया जाएगा।
(viii) तालियों की गड़गड़ाहट में रजनी को मंच पर से उठकर माइक तक आने का निर्देश दिया जाएगा।
(ix) सभा-भवन में श्रोताओं में सबसे आगे की पंक्ति में रजनी के पति को बैठने का स्थान देने का निर्देश दिया जाएगा।
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