कक्षा- 11 पुस्तक- आरोह भाग-1 पाठ का सारांश शब्दार्थ प्रश्नोत्तर CLASS -11 AAROH PART -2 SUMARY OF LESSON MEANINGS QUESTIONSANDANSWERS...
कक्षा- 11
पुस्तक- आरोह भाग-1
पाठ का सारांश
शब्दार्थ
प्रश्नोत्तर
CLASS -11
AAROH PART -2
SUMARY OF LESSON
MEANINGS
QUESTIONSANDANSWERS
पाठ- भारत - माता
पाठ का सारांश:--
'भारत माता' पाठ जवाहरलाल नेहरू द्वारा रचित ‘हिंदुस्तान की कहानी' नामक पुस्तक से लिया गया है।
इस पाठ में लेखक ने बताया है कि अनेक हिस्सों में बँटा हुआ होने पर भी भारत एक देश है और भारत माता की जय का अर्थ इस देश में रहनेवाले करोड़ों लोगों की जय से है। लेखक जब भी देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित जलसों में जाता था तो वहाँ उपस्थित श्रोताओं से वह हिंदुस्तान अथवा भारत की चर्चा करता था। वह इस प्रकार की चर्चा शहरी लोगों से न करके किसानों से अधिक करता था और उन्हें बताता था कि जिस देश की आजादी के लिए हम प्रयत्न कर रहे हैं उस देश का एक हिस्सा दूसरे से अलग होते हुए भी हिंदुस्तान एक है। वह उनकी उन समस्याओं पर बात करता था जो उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक के किसानों की एक जैसी थीं। वह उनसे उस स्वराज्य के संबंध में भी बातें करता था, जो सभी के लिए लाभदायक होगा।
लेखक उन्हें अपनी यात्राओं का वर्णन सुनाते हुए बताता था कि देश के सभी किसान गरीबी, ऋण, शोषण, कड़े लगान, सूद, पुलिस के जुल्म आदि समस्याओं से घिरे हुए हैं। इन सभी परेशानियों के बोझ को विदेशी सरकार ने हम पर लादा हुआ है और हमें इससे छुटकारा पाना है। लेखक उन्हें अपने देश और उस दुनिया के बारे में भी सोचने के लिए कहता है, जिसके हम एक भाग हैं। वह उन्हें चीन, स्पेर यूरोप, सोवियत यूनियन आदि देशों में होनेवाले संघर्षों तथा परिवर्तनों के बारे में भी बताता था। उसने उन्हें अमेरिका द्वारा की गई उन्नति के विषय में भी बताता था। उसकी ये सब बातें वे इसलिए समझ जाते थे क्योंकि उनमें से कई लोगों ने भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित तीर्थों की यात्रा की हुई थी तथा कुछ लोगों ने विदेशों में नौकरी अथवा विश्व युद्ध में भी भाग लिया था।
किसी-किसी जलसे में लेखक का स्वागत 'भारत माता की जय' के नारे से होता था। लेखक ने उनसे इस नारे का अर्थ पूछा। एक स्वस्थ किसान ने एक बार उसे बताया कि भारत माता से उनका आशय अपनी धरती से है। लेखक ने उन्हें बताया कि जिसे वे हिंदुस्तान समझते हैं वह तो ठीक है इसके अतिरिक्त हिंदुस्तान कुछ और भी है। इस देश में रहनेवाले सभी लोग, इस देश के नदी, पहाड़, जंगल, खेत आदि भी हिंदुस्तान हैं। यही करोड़ों लोग भारत माता हैं और जब हम भारत माता की जय बोलते हैं तो इन्हीं सब लोगों की जय बोलते हैं। इस प्रकार वे समझ जाते कि वे भी भारत माता के अंश हैं और वे ही भारत माता हैं। यह सोचकर ही वे प्रसन्न हो जाते, जैसे उन्होंने कोई बहुत बड़ी खोज कर ली हो।
शब्दार्थ:--
अक्सर = अधिकतर , बहुधा
परंपरागत = परंपरा से चला आता हुआ
सयाने = समझदार
गिजा = खुराक
महदूद = सीमित
मसलों = समस्याओं
यक - साँ = एक सी
जुल्म = अत्याचार
हासिल = प्राप्त
जुज = भाग
अचरज = हैरानी
बडी जंग = विश्व युद्ध
हवाले = संदर्भ , उदाहरण
ताज्जुब = आश्चर्य
जलसा = सभा
संस्थापक = स्थापना करने वाला
किस्म = तरह, प्रकार
नजरिया = दृष्टिकोण
जुदा = अलग
जिक्र = चर्चा
फायदे = लाभ
ढढ्ढे = बोझ
हद = सीमा
कशमकश = खींचातानी, असमंजस
वजह = कारण
मुल्कों = देशों
कुतूहल = उत्कंठा, अचंभा
दरअसल = वास्तव में
पाठ के साथ :--
प्रश्न 1. भारत की चर्चा नेहरू कब और किससे करते थे?
उत्तर:- जब कभी भी नेहरू जी किसी सभा को संबोधित करने के लिए जाते थे तो वहाँ उपस्थित लोगों से वे भारत की चर्चा करते थे। वे उन्हें बताते थे कि हिंदुस्तान का नाम भारत इस देश के संस्थापक के नाम से परंपरा से चला आ रहा है। वे उन्हें बताते थे कि जिसकी आजादी के लिए वे प्रयास कर रहे हैं वह देश भारत ही है। उन्हें वे यह भी समझाते थे कि इस देश का एक हिस्सा दूसरे से अलग होते हुए भी पूरा देश एक है और यह हिंदुस्तान अथवा भारत कहलाता है। इस प्रकार वे उन्हें अनेकता में एकता का मूल मंत्र बताकर समग्र भारत को गुलामी से मुक्त कराने के लिए आंदोलन करने की प्रेरणा देते थे।
प्रश्न 2. नेहरू जी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे ?
उत्तर - नेहरू जी जब भी कहीं किसी सभा में भाषण देने जाते थे तो वहाँ एकत्र लोग उनका स्वागत 'भारत माता की जय' का नारा लगाकर
किया करते थे। वे वहाँ उपस्थित किसानों से पूछते थे कि इस नारे से उनका मतलब क्या है? यह भारत माता कौन है ? इस भारत माता की जय वे क्यों चाहते हैं? उनके इस प्रश्न का वे लोग कोई उत्तर नहीं दे पाते थे और एक-दूसरे की तरफ अथवा नेहरू जी की तरफ देखने लगते थे। उन्हें नेहरू जी के इस प्रश्न से हैरानी होती थी कि वे उन लोगों से ऐसा प्रश्न क्यों पूछ रहे हैं।
प्रश्न 3. दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था ?
उत्तर:-- नेहरू जी जब भी किसी सभा में देश को आजाद कराने के लिए भाषण देते थे तो वे उन्हें अपने देश हिंदुस्तान और जिस दुनिया का हिंदुस्तान एक अंश है, उसके बारे में भी सोचने के लिए कहते थे। वे उन्हें चीन, स्पेन, अबीसिनिया, मिस्र, यूरोप, सोवियत यूनियन, अमेरिका आदि देशों के बारे में बताते थे कि वहाँ किस प्रकार से संघर्ष हुआ और कैसे इन देशों ने उन्नति की है। वे लोग नेहरू जी की इन बातों को इसलिए समझ लेते थे क्योंकि उनमें से कई लोगों ने अपने देश के विभिन्न भागों में स्थित तीर्थों की यात्राएँ की थीं। कुछ लोग प्रथम विश्व युद्ध के सैनिक थे तथा दुनिया को जानते थे तथा कई लोग विदेशों में नौकरी भी कर चुके थे, इसलिए इन सभाओं में दुनिया के बारे में बताना नेहरू जी के लिए बहुत आसान था।
प्रश्न 4. किसान सामान्यतः भारत माता का क्या अर्थ लेते थे ?
उत्तर- नेहरू जी जब भी कहीं किसी सभा को संबोधित करने जाते थे, उनका स्वागत 'भारत माता की जय' के नारे से किया जाता था। वे वहाँ उपस्थित किसानों से इस नारे का अर्थ पूछते थे, परंतु कोई बता नहीं पाता था। एक बार एक हट्टे-कट्टे किसान ने उन्हें बताया कि भारत माता से मतलब हमारी धरती से है। तब नेहरू जी ने उन्हें समझाया कि उनके गाँव, जिले, प्रांत और सारे हिंदुस्तान की धरती, यहाँ की नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत और यहाँ रहनेवाले करोड़ों लोग भारत माता हैं।
प्रश्न 5. भारत माता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी ?
उत्तर:- नेहरू जी के अनुसार भारत माता केवल एक देश नहीं है बल्कि इस देश का प्रत्येक गाँव, जिला, राज्य, पहाड़, नदियाँ, जंगल, खेत और यहाँ रहने वाले करोड़ों लोग भारत माता हैं। वे भारत माता की जय का अर्थ इन सबकी जय मानते थे। उनका मानना है कि जब करोड़ों लोग भारत माता हैं तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि प्रत्येक व्यक्ति भारत माता का अंश है, इसलिए वह व्यक्ति भी भारत माता है।
प्रश्न 6.आज़ादी से पूर्व किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था ?
उत्तर- आजादी से पूर्व नेहरू जी भारत की जनता को जगाने के लिए देश के विभिन्न भागों में सभाएँ करते थे। वे अपनी सभा में आए हुए किसानों से उनकी समस्याओं के संबंध में भी बातचीत करते थे। उन्हें सारे देश के किसानों की समस्याएँ एक-सी लगती थीं। उन दिनों किसान बहुत गरीब थे। वे कर्ज के बोझ से दबे हुए थे। पूँजीपति और ज़मींदार उनका शोषण करते थे। महाजन का ब्याज चुकाते-चुकाते उनकी पीढ़ियाँ समाप्त हो जाती थीं। उन्हें भारी लगान देना पड़ता था तथा पुलिस के अत्याचार भी सहन करने पड़ते थे।
पाठ के आस-पास:--
प्रश्न 1. आजादी से पूर्व भारत निर्माण को लेकर नेहरू के क्या सपने थे ? आजादी के बाद वे साकार हुए ? स्पष्ट करके लिखिए।
उत्तर- आजादी से पहले भारत-निर्माण के संबंध में नेहरू जी यह सोचते थे कि भारत एक ऐसा राष्ट्र होगा जो संसार का सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र
कहलाएगा। वे इस देश के प्रत्येक वयस्क नागरिक को देश की सरकार चलाने में भागीदार बनाना चाहते थे। वे वर्ग-भेद से रहित सबको सब प्रकार के कार्य करने के समान अवसर प्रदान करना चाहते थे। उन्होंने देश में बड़े-बड़े उद्योगों, वैज्ञानिक अनुसंधानों, आर्थिक उन्नति, सामाजिक समता, सांस्कृतिक वृद्धि आदि के सपने देखे थे। वे विश्व-बंधुत्व की भावना का प्रचार करना चाहते थे। आजादी के बाद उनके अनेक स्वप्न साकार हो गए, किंतु उनके सपनों के भारत का विभाजन हो गया था। उन्होंने अपने भारत का नवनिर्माण किया। बड़ी-बड़ी पंचवर्षीय योजनाओं के द्वार उद्योग, विज्ञान, कृषि, शिक्षा, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में उन्नति हुई। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके पंचशील के सिद्धांत को स्वीकार किया गया। लोकतंत्र मजबूत हुआ। प्रत्येक वयस्क को मताधिकार मिला। गाँव-गाँव में पंचायती राज स्थापित हुआ। आज भारत का विश्व में जो मान-सम्मान है, उसे दिलाने का श्रेय नेहरू जो द्वारा प्रारंभ किए गए देश के नव-निर्माण के कार्यों को ही दिया जाता है।
प्रश्न 2. भारत के विकास को लेकर आप क्या सपने देखते हैं? स्पष्ट करके लिखिए।
उत्तर- मैं भारत का एक नागरिक हूँ। मैं देश के लिए नित्य नई-नई कल्पनाएँ करता हूँ। मैं इसे सबसे उन्नत और महान देखना चाहता हूँ। इसने मेरे ऊपर जो उपकार किया है, मैं उससे उऋण नहीं हो सकता। मैं चाहता हूँ कि मेरे देश में प्रजातंत्र का आदर्श रूप हो जिससे प्रत्येक नागरिक को सच्ची स्वतंत्रता का अनुभव हो। मेरे देश में आर्थिक विषमता की खाई भी दिन-प्रतिदिन गहरी होती जा रही है। निर्धन अभाव की चक्की में पिस रहा है। जब तक यह आर्थिक विषमता समाप्त नहीं होती और देश के निर्धन को एक-जैसा सुख प्राप्त नहीं होता, तब तक मेरे सपनों का भारत भी यथार्थ रूप धारण नहीं कर सकता। कभी-कभी प्रांतीयता एवं सांप्रदायिकता के भाव प्रबल हो जाते हैं, जिससे मेरे देश की एकता खंडित हो जाती है। कभी भाषा के नाम पर आंदोलन होते हैं तो कभी धर्म की संकीर्णता वैमनस्य का कारण बन जाती है। राजनैतिक दल परस्पर मतभेद होने के कारण भी देश की उन्नति में बाधक बन जाते हैं। जब तक यह गुटबंदी समाप्त नहीं होती तब तक राजनैतिक वातावरण में भी स्वस्थता एवं स्थिरता नहीं आ सकती। जब तक राजनीतिक दल देश के हित संपादन को अपना लक्ष्य स्वीकार नहीं करते तब तक मेरा सपना भी साकार नहीं हो सकता। आज के भारत में भ्रष्टाचार का भी बोलबाला है जिसके कारण राष्ट्रीय गौरव को आघात पहुँच रहा है। जब तक भारतवासी चरित्र-बल भारत का उच्च स्तर नहीं उठ सकता।
वर्तमान भारत का शिक्षा पद्धति भी दोषपूर्ण है। छात्र अपने जीवन का दीर्घ समय विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में व्यतीत करके भी अपने भविष्य के प्रति निश्चित नहीं हो सकते। मैं अपने देश में ऐसी शिक्षा- पद्धति चाहता हूँ जो छात्र के भविष्य को स्वर्णिम बना दे। उनके हृदय में देश-भक्ति एवं समाज-सेवा की भावनाएँ हिलोरे लेती रहें।
भारत अपने प्राचीन गौरव को समझे, पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध से अपने को बचाए, सादा जीवन और उच्च विचार ग्रहण करे, अपनी भाषा को प्राथमिकता दे, प्राचीनता एवं नवीनता के समन्वय से अपने ज्ञान-विज्ञान को चरम सीमा तक पहुँचा दे, तभी मैं समजूंगा कि मेरा सपना साकार हुआ है।
मैं आदर्शवादी हूँ। मुझे विश्वास है कि वह दिन अवश्य आएगा जब हमारे भारत की संस्कृति संपूर्ण विश्व को आलोकित करेगी। भारत आत्म-निर्भर बनेगा। प्रत्येक नागरिक सुख-सुविधा एवं आनंद का जीवन व्यतीत करेगा। ईश्वर से मेरी नम्र प्रार्थना है कि वे मेरी राष्ट्रोत्थान संबंधी कल्पनाओं को यथार्थ रूप प्रदान करें।
प्रश्न-3 आपकी दृष्टि में भारत माता और हिंदुस्तान की क्या संकल्पना है? लिखिए।
उत्तर- मेरी दृष्टि में भारत अथवा भारत माता अथवा हिंदुस्तान वह देश है जो विभिन्न भौगोलिक सीमाओं से आबद्ध है। उत्तर में हिमालय इसका मस्तक है जो प्रहरी के समान इसकी रात-दिन रक्षा करता है, तो दक्षिण में सागर इसके चरणों को पखारता है। अनेक नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत, पशु-पक्षी इसकी शोभा में वृद्धि करते हैं। इस देश में रहनेवाला प्रत्येक व्यक्ति इसका अंश है। इन सबको मिलाकर जो देश बनता है वह मेरा देश भारत है, वही भारत माता है और वही हिंदुस्तान है।
जन 4 . वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है ? चर्चा करके लिखिए।
उत्तर- वर्तमान समय में किसानों की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। वे ट्रैक्टर तथा अन्य आधुनिक कृषि उपकरणों से खेती करने लगे हैं। उन्नत बीजों और वैज्ञानिक रूप से तैयार खादों के प्रयोग से उनकी फ़सल में वृद्धि हुई है। उन्हें सिंचाई की आधुनिक सुविधाएँ प्राप्त हैं। वे बैंकों से ऋण लेकर अपना कार्य अच्छी प्रकार से चला सकते हैं। इससे उन्हें महाजनों के चंगुल से छुटकारा मिल गया है। उनका जीवन-स्तर ऊँचा उठ रहा है। देश के कुछ भागों में किसानों की स्थिति अभी भी दयनीय है। बाढ़, सूखा आदि के कारण उनकी फ़सलें नष्ट हो जाती हैं। बैंकों का कर्ज़ नहीं चुका सकने के कारण वे आत्महत्या कर लेते हैं। इस ओर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न 5. आजादी से पूर्व अनेक नारे प्रचलित थे। किन्हीं दस नारों का संकलन करें और संदर्भ भी लिखें।
उत्तर :--
(i) जय हिंद - सुभाष चंद्रयोस
(ii) दिल्ली चलो - सुभाष चंद्रबोस
(iii) स्वतंत्रता हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है - श्री लोकमान्य तिलक जी
(iv) भारत माता की जय - जवाहर लाल नेहरू जी
(v) अंग्रेजों, भारत छोड़ो - महात्मा गांधी जी
(vi) वंदे मातरम - बंकिम चंद्र चटर्जी जी
(vii) इंकलाब, जिंदाबाद - सरदार भगत सिंह जी
(viii) साइमन कमीशन वापस जाओ - लाला लाजपत राय जी
(ix) मेरा रंग दे बसंती चोला - सरदार भगत सिंह जी
(x) तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा - नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी।
भाषा की बात :--
प्रश्न 1. नीचे दिए गए शब्दों का पाठ के संदर्भ में अर्थ लिखिए ।
दक्खिन, पच्छिम, यक-साँ, एक-जुज, ढढढे।
उत्तर- दक्षिण, पश्चिम, एक-समान, एक-भाग, बोझ ।
प्रश्न 2. नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप लिखिए ।
आजादी, चमक, हिंदुस्तान, विदेश, सरकार, यात्रा, पुराण, भारत।
उत्तर - आजाद, चमकदार, हिंदुस्तानी, विदेशी, सरकारी, यात्री,
पौराणिक, भारतीय।
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